दीपक द्विवेदी
अर्थशास्त्री भारत के बड़ी शक्ति बनने की बात इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि देश में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार हर क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधारात्मक कदम उठा रही है। देश के बैंकों का बही-खाता बेहतर हो गया है। लोन ग्रोथ भी अब बेहतर आकार ले रही है।
भारतवासियों के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी है कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.75 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है। 2014 में ये लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर था। भारत ने मौजूदा जीडीपी में ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को पछाड़ दिया है। भारत की इस उपलब्धि का जिक्र वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय के ट्वीट में भी किया गया है। भारत आज दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और भारत को अब ग्लोबल इकोनॉमी में ‘ब्राइट स्पॉट’ कहा जाने लगा है। जीडीपी की बात करें तो उसके हिसाब से दुनिया के 10 सबसे अमीर देश क्रमश: अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन, फ़्रांस, कनाडा, रूस और इटली हैं।
यह बात अब सच है कि आज एक महान शक्ति के रूप में भारत का उभरना निरंतर जारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की आबादी और अर्थव्यवस्था, दोनों के आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इससे भारत चीन को टक्क र देने में और सक्षम व समर्थ बनेगा। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाशिंगटन में गर्मजोशी से गले लगाना और स्वागत करना तथा पेरिस में एमैनुएल मैक्रों की ओर से भारतीय नेता को पूरे मान-सम्मान-गर्व से गले लगाना एक ऐसे देश के साथ करीबी संबंध स्थापित करने जैसा है जिसके अति शीघ्र चीन का मुकाबला करने के लिए एक शक्तिशाली देश बनने की उम्मीद है। इसके अलावा फ्रांस ने पीएम मोदी को अपना सबसे बड़ा सम्मान भी दिया जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा रचा गया नया इतिहास भी है।
ऑस्ट्रेलिया में भी पीएम मोदी का कुछ इसी तरह से स्वागत हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अल्बनीज ने पीएम मोदी को भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में ‘द बॉस’ कह कर संबोधित किया था। अल्बनीज ने इस संबंध में स्पष्ट किया था कि ये कथन उनके भाषण का हिस्सा नहीं था पर ये उनकी भावना थी जो होंठों पर आ गई। वहीं, पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन में यह कह कर अल्बनीज का आभार जताया था कि भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के पीएम का आना हम सभी के लिए गौरव की बात है। ये सब बातें यही दर्शाती हैं कि भारत के वास्तव में एक उभरती हुई महान शक्ति बनने की पूरी संभावना है और उसमें ऐसा कर दिखाने का पूर्ण सामर्थ्य भी है।
यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज भारत की अर्थव्यवस्था का दुनिया में डंका बज रहा है और आगे भी बजता रहेगा। विशेषज्ञ अब यह मानने लगे हैं कि आने वाले वर्षों में भारत एक बड़ी ताकत बनने की ओर अग्रसर है और वह अमेरिका की बराबरी कर लेगा। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। ब्रिटेन के अर्थशास्त्री मार्टिन वुल्फ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से बढ़ती ताकत बनता जा रहा है जो चीन को पूरी तरह से काबू में रख सकता है। अगर अमेरिकी या वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ तो 2050 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिका के समान होगा। यह भी अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था और आबादी, दोनों की वृद्धि होगी। भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। वह पर्चेजिंग पावर के मामले में तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक देश की जनसंख्या 1.67 अरब पर पहुंच जाएगी जो अभी करीब 1.43 अरब है।
अर्थशास्त्री भारत के बड़ी शक्ति बनने की बात इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि देश में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार हर क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधारात्मक कदम उठा रही है। देश के बैंकों का बही-खाता बेहतर हो गया है। लोन ग्रोथ भी अब बेहतर आकार ले रही है। आगामी दशकों में देश की इकोनॉमी और आबादी, दोनों तेजी से बढ़ने की बात कही जा रही है जो अर्थव्यवस्था को और बेहतर आकार देगी। ‘चीन प्लस वन’ स्ट्रेटेजी को अपनाने वाली कंपनियों के लिए भी भारत एक प्रमुख गंतव्य के रूप में विकसित होता जा रहा है। बड़े घरेलू बाजार की वजह से इस मामले में दूसरे प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में भारत लाभ की स्थिति में है। भारत के पश्चिमी देशों के साथ भी अच्छे संबंध हैं जो एक अच्छी बात है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष ने भी 2023 से 2028 तक सालाना इकोनॉमिक ग्रोथ छह फीसदी से कुछ अधिक रहने का अनुमान लगाया है। यदि ग्लोबल या घरेलू स्तर पर कोई बड़ा झटका नहीं लगा तो यह ग्रोथ पिछले तीन दशक के औसत के बराबर होगी। भारत एक युवा देश है, जिसके श्रमबल की गुणवत्ता में सुधार की अपार संभावनाएं हैं, बचत की दर काफी ऊंची है और अधिक ग्रोथ की व्यापक उम्मीदें हैं। भारत जिस तरह से कोरोना के दौर की चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है, वह भी पूरे विश्व के लिए एक अनुकरणीय मिसाल है। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा का भी कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के दौर में भारत कई ऐसे कदम उठा रहा है, जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं और भारत को यह रफ्तार बनाए रखने की जरूरत है।