ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पाकिस्तान और मालदीव की मुइज्जू सरकार के सुर में सुर मिला रहे तुर्की को भारत ने कड़ा सबक सिखाया है। भारत ने 22 हजार करोड़ के नौसैनिक युद्धपोतों की डील से तुर्की की कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। रक्षा मंत्रालय ने घरेलू शिप बिल्डिंग कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए तुर्की की कंपनियों से सभी ठेके रद करके हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को दे दिए हैं। इस डील के तहत 5 फ्लीट सर्पोट शिप बनाया जाना है। विशाखापत्तनम में पहले शिप की स्टील कटिंग सेरेमनी भी संपन्न हो गई। भारत ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब हाल के दिनों में तुर्की ने भारत विरोधी तेवर दिखाए हैं।
अब तक पाकिस्तान को ड्रोन और मिसाइलें देने वाले तुर्की ने अब मालदीव को भी टीबी-2 किलर ड्रोन दिया है जहां की मुइज्जू सरकार इन दिनों बौखलाहट में भारत के खिलाफ बेतुके राग अलाप रही है। इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने कश्मीर मामले को कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उठाया है।
– पाकिस्तान-मालदीव के सुर में सुर मिला रहे थे एर्दोगान
यही नहीं पाकिस्तान के इशारे पर अक्सर तुर्की भारत के खिलाफ बयान देता रहता है। 5 सपोर्ट शिप बनाने का यह ठेका हिंदुस्तान शिपयार्ड को दिया गया और इसकी डिलिवरी भारतीय नौसेना को साल 2027 से शुरू हो जाएगी।
भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत
इससे भारतीय नौसेना की ब्लू वाटर नेवी बनने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन विशाल जहाजों की विस्थापन क्षमता 40 हजार टन होगी। ये जहाज नौसेना को ईंन्धन, पानी, गोला बारूद आदि मुहैया करा सकेंगे। इससे भारतीय नौसेना के युद्धपोत लंबे समय तक समुद्र में दुश्मन को चुनौती दे सकेंगे और उन्हें बार-बार हार्बर पर नहीं आना होगा।
इसके अलावा इन जहाजों की मदद से मानवीय सहायता और आपदा राहत दी जा सकेगी। इन जहाजों को अब पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक के आधार पर डिजाइन किया जाएगा और बनाया जाएगा।