ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस सेंटर होगा। यह हमें अंतरिक्ष के अज्ञात विस्तार का अध्ययन करने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की सफलता न केवल देश की युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच के बीज बो रही है, बल्कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकासात्मक प्रगति से देश के 21वीं सदी में एक बड़े ‘वैश्विक खिलाड़ी’ के रूप में उभरने में भी मदद मिली है।
पीएम मोदी ने तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में उन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की थी, जो देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन-‘गगनयान’ के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। ये चार अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं।
पीएम मोदी ने खुशी जताई
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि ये चार ऐसी ताकतें हैं जो देश के 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को समाहित करती हैं। उन्होंने कहा कि चार दशक बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार है और ‘‘इस बार उलटी गिनती, समय और यहां तक कि रॉकेट भी हमारा है। ’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व और खुशी है कि गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में उपयोग किए गए अधिकतर पुर्जे भारत में बने हैं। पीएम मोदी ने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महिलाओं के द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान और गगनयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों में महिलाएं अहम हिस्सा हैं और उनके बिना यह संभव नहीं होता। प्रधानमंत्री ने इस दौरान इसरो के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की समीक्षा भी की।
इसरो परियोजनाओं की प्रदर्शनी देखी
पीएम मोदी ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के साथ वीएसएससी में प्रदर्शित विभिन्न इसरो परियोजनाओं की प्रदर्शनी भी देखी।
– अंतरिक्ष क्षेत्र में सफलता युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच के बीज बो रही
– गगनयान मिशन में उपयोग किए गए अधिकतर पुर्जे भारत में बने
– अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 1800 करोड़ की योजनाएं
– सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पीएसएलवी एकीकरण इकाई का उद्घाटन
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चंद्रयान और गगनयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों में महिलाएं अहम हिस्सा हैं और उनके बिना यह संभव नहीं होता।
चार दशक बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार है और इस बार उलटी गिनती, समय और यहां तक कि रॉकेट भी हमारा है।
इन परियोजनाओं का उद्घाटन
पीएम मोदी ने वीएसएससी में एक ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’, तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रणोदन परिसर (इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स) में ‘सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट फेसिलिटी’ और आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) में पीएसएलवी एकीकरण इकाई का उद्घाटन किया।
ये तीन परियोजनाएं अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व स्तरीय तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये की संचयी लागत पर विकसित की गई हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का प्रमुख केंद्र वीएसएससी प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास का काम करता है।
‘गगनयान’ अंतरिक्ष में नई खोज का अभियान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। मिशन सफल होने पर भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही यह काम कर पाए हैं।
इस मिशन को 2024 के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। इसी साल मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा। गगनयान मिशन तीन दिवसीय है। मिशन के लिए 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा पर मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा।