ब्लिट्ज ब्यूरो
मास्को। भारत और रूस रक्षा साझेदारी में एक नई छलांग लगाने जा रहे हैं। दोनों देश अपनी अगली साझा रक्षा परियोजना में महाराष्ट्र के नासिक में सुखोई-30 का निर्माण कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए चर्चा चल रही है और आने वाले समय में भारत में सुखोई-30 का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा के बाद संयुक्त बयान में भी कहा गया है कि दोनों देश रूसी मूल के हथियारों के पुर्जों के उत्पादन, मरम्मत व रखरखाव की दिशा में काम करने पर सहमत हुए हैं।
9 अहम समझौतों पर मुहर लगी थी
पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों के बीच 9 अहम समझौतों पर मुहर लगी थी। रूसी तकनीक आधारित हथियारों के संयुक्त उत्पादन के जरिए भारत की जरूरतों को पूरा करने के बाद उन्हें निर्यात भी किया जाएगा।
एचएएल प्लांट में निर्माण के लिए बात
सूत्रों ने बताया कि नासिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) प्लांट में भारतीय वायुसेना के लिए रूसी मूल के लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू करने के लिए बातचीत चल रही है। 1964 में रूसी सहयोग से शुरू किया गया यह प्लांट मिग-21 और उसके बाद सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के उत्पादन और रखरखाव में शामिल रहा है। इस प्लांट में सुखोई-30 लड़ाकू विमान का निर्माण शुरू हो सकता है।
एचएएल को सुखोई बनाने में लंबा तजुर्बा
इस समय भारतीय वायुसेना के पास सबसे ज्यादा सुखोई-30 विमान हैं। भारत और रूस के बीच हुए समझौते में 272 सुखोई-30 विमानों का सौदा हुआ था, जिनमें से काफी संख्या में विमानों का उत्पादन एचएएल प्लांट में हुआ था।