आस्था भट्टाचार्य
कानपुर। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है, जो तारे की परिक्रमा कर रहा है। जैसे पृथ्वी सूर्य के चक्क र लगाती है, वैसे ही यह ग्रह तारे का चक्कर लगा रहा है। यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह जुपिटर से छह गुना से अधिक बड़ा है। इसलिए इसे ‘सुपर जुपिटर’ नाम दिया गया है। यह खोज डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस, प्लेनेटरी एंड एस्ट्रोनॉमिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग (स्पेस) के खगोलविदों व आईआईटी कानपुर के प्रो. प्रशांत पाठक की टीम ने मिलकर की है। इस उपलब्धि को विज्ञान पत्रिका नेचर ने प्रकाशित किया है।
तारे की परिक्रमा 200 साल में
प्रो. प्रशांत पाठक ने बताया कि ‘सुपर जुपिटर’ ग्रह तारे की परिक्रमा 200 साल में पूरा करता है। तारे की अत्यधिक चमक आमतौर पर एक्सोप्लैनेट (दूसरे तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह) की मंद रोशनी का पता लगाने में बाधा डालती है। टीम ने इस चमक को ब्लॉक करने के लिए विशेष कैमरे (कोरोनग्राफ से लैस जेडब्ल्यूएसटी के एमआईआरआई कैमरा) का इस्तेमाल किया। इससे एक कृत्रिम ग्रहण बना और इस नए ग्रह की खोज हो सकी।
पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर
पृथ्वी से इसकी दूरी 12 प्रकाश वर्ष की है। प्रो. पाठक ने बताया कि अब प्रोफेसर इस तारे के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। अभी तक पता चला है कि यह के5वी प्रकार के तारे (जिसे एचडी 209100 के नाम से जाना जाता है) जैसा है। टेलीस्कोप से इसका