सिंधु झा
भारत ने पिछले एक दशक में अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 13 अरब डॉलर (लगभग 11 .5 खरब रुपये) का निवेश किया है, जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 60 अरब डॉलर (51 खरब रुपये) का योगदान दिया है। यह जानकारी फ्रांस स्थित वैश्विक सलाहकार कंपनी नोवास्पेस ने हाल ही में एक रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट को भारत सरकार ने जारी किया है।
‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव’ विषयक इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त पोषण के मामले में भारत दुनिया का आठवां सबसे बड़ा अंतरिक्ष राष्ट्र है और इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स में तेजी से वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने 47 लाख नौकरियां पैदा की हैं।
96,000 लोगों को रोजगार
यह क्षेत्र सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के माध्यम से सीधे 96,000 लोगों को रोजगार देता है। इसरो ने नोवास्पेस को अपने अंतरिक्ष मिशनों के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर एक रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा था। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का अनुमानित राजस्व 2014 में 3.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 6.3 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पन्न प्रत्येक डॉलर 2.54 अमेरिकी डॉलर के अप्रत्यक्ष और प्रेरित लाभ में तब्दील होता है।
भारत का लक्ष्य
ज्ञात हो कि भारत का लक्ष्य 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) को चालू करना और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारना है। अगले वर्ष पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव अंतरिक्ष उड़ान, स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत की वैज्ञानिक गतिविधियों के विस्तार की दिशा में पहला कदम होगा, जिससे चंद्र अन्वेषण और उससे आगे के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
इसरो रोजाना आठ लाख मछुआरों की मदद करता है
नोवास्पेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसरो रोजाना आठ लाख मछुआरों की मदद करता है। इसके अलावा, 1.4 अरब भारतीयों को उपग्रह आधारित मौसम पूर्वानुमान का लाभ मिलता है। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस ) ने स्टार्ट-अप के लिए एक सीड फंड योजना शुरू की है, निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की है और उभरते अंतरिक्ष क्षेत्र के उद्यमियों के लिए सिमुलेशन सॉफ्टवेयर के साथ एक डिजाइन लैब की स्थापना की है।
पीपीपी मोड
सरकार निजी क्षेत्र को पीपीपी मोड में पृथ्वी अवलोकन नक्षत्र शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए अप्रयुक्त आईटीयू फाइलिंग का उपयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में अंतरिक्ष उप-प्रणालियों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों के साथ राजकोषीय और गैर-राजकोषीय प्रोत्साहनों पर काम किए जा रहे हैं। जबकि वित्त मंत्रालय ने अंतरिक्ष स्टार्ट-अप के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी कोष की घोषणा की है, ताकि उभरते उद्यमों के सामने आने वाले महत्वपूर्ण वित्तपोषण अंतराल को पाटने और उनकी वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिल सके।
प्रगतिशील नीतियों ने अनुकूल वातावरण बनाया
जानकारों के मुताबिक भारत अंतरिक्ष नीति और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के गठन सहित सरकार की प्रगतिशील नीतियों ने अनुकूल वातावरण बनाकर भारतीय निजी कंपनियों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया है। निरंतर सरकारी समर्थन और निजी निवेश के साथ, भारत में वैश्विक अंतरिक्ष नेता के रूप में उभरने की क्षमता है। नई व्यापक अंतरिक्ष नीति, आईएन-स्पेस की स्थापना, उदार एफडीआई नियमों सहित सुधार और प्रशासनिक पद्धति से स्पेक्ट्रम आवंटित करने वाले नए दूरसंचार अधिनियम जैसी पहलों ने पहले ही निजी उद्योग को बहुत जरूरी गति दे दी है। इस तरह के सुधार एक जीवंत और प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में सहायक होंगे, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के निरंतर नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त होगा।