विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरब की धरती पर हिंदू मंदिर की स्थापना करा कर दूनिया भर में संदेश दिया है कि नया भारत सर्वधर्म समभाव की अपनी मजबूत बुनियाद पर ही विश्व गुरु बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान की आपसी समझ और उनकी सहज बाँडिंग तस्दीक करती है कि मोदी अरबियों के बेहद अच्छे दोस्त होने के साथ ही समूचे मुस्लिम समुदाय के भी हिमायती और मसीहा हैं।
यह पीएम मोदी का ही मैजिक है कि दुबई के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बना है जिसका उन्होंने 14 फरवरी को उद्घाटन किया। पीएम मोदी का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान के सहयोग के बिना संभव नहीं था। यह प्रधानमंत्री का ही जादू था कि उनके एक आग्रह पर राष्ट्रपति अल-नाहयान ने मंदिर के लिए निशुल्क भूमि उपलब्ध करा दी। अब इस मुस्लिम देश में मंदिर की घंटियां और शंख का नाद सुनाई देगा। उन्होंने कहा कि स्वामी नारायण संस्था द्वारा बनाया गया यह मंदिर भारत-यूएई के बढ़ते रिश्तों का प्रतीक है। अयोध्या की खुशी की लहर को अबूधाबी ने और बढ़ाया है। हम विविधता में विश्वास को देखते हैं, विद्वेष को नहीं। यही वजह है कि अबूधाबी में बने मंदिर के निर्माण में हर धर्म के लोगों ने सहयोग किया है और ‘हारमनी वॉल’ भी इसका सबसे बड़ा प्रतीक है।
– सबसे ऊंचा शिखर 108 फीट का
– वाराणसी जैसा घाट बनाया गया है
– अयोध्या की तरह नागर शैली में बनाया गया है
– मंदिर में गंगा, यमुना, सरस्वती की जलधार
इसके अलावा अनेक अवसरों पर मोदी यह सिद्ध कर चुके हैं कि वे मुस्लिम समुदाय ही नहीं बल्िक पूरी दुनिया का कल्याण चाहते हैं। विश्व कल्याण की भावना से वह जब कभी कोई भी विचार रखते हैं तो दुनिया उस पर विश्वास करती है। विश्व भी यह मानता है कि वह जो कुछ कहते हैं, उसके पीछे उनकी कोई गारंटी होती है और वह जो कहते हैं, उसे पूरा भी करते हैं। यही वजह थी कि जी20 का दिल्ली घोषणा पत्र सर्वसम्मति से तैयार हो सका। अन्यथा इसके पूर्व हुई जी20 की अन्य शिखर बैठकों में घोषणा पत्रों पर आम सहमति नहीं बन सकी। मोदी पर विश्वास के कारण ही आज भी वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। विश्व ने पीएम मोदी के इस विचार को स्वीकारा कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है।’ उन्हीं के कारण आज भारत का योग अंतरराष्ट्रीय पहचान पा सका और भारत एक शांतिप्रिय ‘विश्वमित्र’ की छवि बना सका तथा विश्व गुरु बनने की तरफ कदम बढ़ा रहा है।
पीएम मोदी संपूर्ण विश्व को यह समझाने में भी सफल रहे कि हम सब मिलकर ही ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट को विश्वास और भरोसे में बदल सकते हैं। ये मिलकर चलने का समय है। इसकी बानगी अबूधाबी में भी देखने को मिली जहां उन्होंने एक बार फिर अपने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ का मंत्र ही हम सब के लिए पथ प्रदर्शक बन सकता है। उन्होंने कहा, भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का मंत्र ही ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ का सपना साकार कर सकता है।
कतर से कराई 8 भारतीयों की रिहाई
अरब देशों पर प्रधानमंत्री मोदी के प्रभाव का एक ज्वलंत उदाहरण यह भी है कि उनके हस्तक्षेप के बाद ही कतर में मौत की सजा पाए आठ पूर्व नौसैन्यकर्मी सकुशल रिहा होकर भारत लौट सके। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है और इसके हीरो पीएम नरेंद्र मोदी माने गए हैं। कतर वह देश है जहां एक बार ऐसी सजा मिलने के बाद कोई बच कर स्वदेश नहीं लौट पाता। स्वदेश पहुंचे नागरिकों का कहना है कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना भारत वापस आना हमारे लिए असंभव था। उन्होंने इसका श्रेय पीएम मोदी के नेतृत्व में निरंतर हुए राजनयिक प्रयासों को दिया। कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में कॉप28 शिखर सम्मेलन के मौके पर 1 दिसंबर 2023 को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात कर इस मुद्दे पर बात की थी। सभी पूर्व सैनिकों ने सजा सुनाए जाने के संबंध में कतर के अमीर से सीधे तौर पर बात करने के लिए मोदी का शुक्रिया अदा किया। साथ ही उन्होंने अपनी आजादी के लिए प्रधानमंत्री के कूटनीतिक कदमों की अहम भूमिका के लिए उन्हें बार-बार सराहा और धन्यवाद दिया।
यह ‘मोदी गारंटी’ का जादू है
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मतलब दुनिया भर में भारत के लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी है।”
मोदी हैं तो मुमकिन है
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने एक्स पर कहा, ‘मोदी सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाएगी। हमेशा की तरह पीएम की ‘मोदी गारंटी’ ने जादू की तरह काम किया है। सभी आठ को रिहा कर दिया गया है। सात घर वापस आ गए हैं। मोदी हैं तो मुमकिन है।’
डोभाल भी हैं एक हीरो
कतर से रिहा हो लौटे भारतीयों के लिए अपनाई गई भारत की कूटनीतिक जीत के पीछे एक और हीरो एनएसए अजीत डोभाल की भी अहम भूमिका रही है। डोभाल ने पर्दे के पीछे की कूटनीति से रिहाई को सुनिश्चित कराया और कई बैठकें हुईं।