ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करते समय यात्रियों की उच्च मृत्यु दर को शर्मनाक मानते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से जांचे गए हलफनामे मांगे और इस दयनीय स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास की सहायता भी मांगी।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय ने सुनवाई के दौरान कहा, मुझे उस तरीके पर शर्म आती है जिस तरह यात्रियों को लोकल में यात्रा करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रति हजार यात्रियों में मृत्यु दर लंदन से भी कम हो जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ यतिन जाधव द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो विरार निवासी हैं और हर रोज वेस्टर्न रेलवे लाइन पर यात्रा करते हैं। याचिका में प्रणालीगत मुद्दों की ओर इशारा किया गया था, जो उच्च मृत्यु दर का कारण बन रहे थे, जो लगभग 2,590 प्रति वर्ष थी। याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि डेटा के अनुसार प्रतिदिन लगभग 5 मौतें कॉलेज या काम पर जाने वाले यात्रियों की होती हैं।
– कॉलेज आना या काम पर जाना युद्ध में जाने जैसा है
– ‘लोकल ट्रेनों में यात्रा करने के लिए मजबूर करने के तरीके पर शर्म आती है’
जाधव की ओर से पेश हुए वकील रोहन शाह ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि इन मौतों का मुख्य कारण यात्रियों का ट्रेन से गिरना और रेलवे ट्रैक पार करते समय दुर्घटनाएं हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई लोकल टोक्यो के बाद दूसरी सबसे व्यस्त रेलवे प्रणाली है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रति हजार यात्रियों पर मृत्यु दर 33.8 है, जबकि न्यूयॉर्क में 2.66 है और लंदन में यह 1.43 है।
शाह ने कहा, कॉलेज आना या काम पर जाना युद्ध में जाने जैसा है क्योंकि इसमें मरने वाले सैनिकों की संख्या सक्रिय ड्यूटी पर मरने वाले सैनिकों की संख्या से अधिक है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हालांकि रेलवे ने एसी ट्रेनें शुरू की हैं, जिनमें दरवाजे बंद होते हैं, लेकिन कम आय वर्ग अभी भी एसी ट्रेनों के महंगे टिकटों के कारण गैर-एसी ट्रेनों में यात्रा करता है।
शाह ने इस बात पर जोर दिया कि पहले 10 गैर-एसी ट्रेनों द्वारा साझा की जाने वाली क्षमता अब 8 गैर-एसी ट्रेनों द्वारा प्रबंधित की जा रही है, क्योंकि 10 में से 2 को एसी ट्रेनों में बदल दिया गया है। रेलवे द्वारा कोई मुआवजा नहीं दिया जाता है, सिवाय इसके कि ट्रेन दुर्घटना या रेलवे संपत्ति पर आग लगने की घटना के कारण मृत्यु हो। उन्होंने कहा कि उपरोक्त दो वर्गीकरणों के अलावा अन्य कोई भी मृत्यु रेलवे द्वारा दर्ज नहीं की जाती है और केवल ‘अवांछित घटना’ के रूप में चिह्नित की जाती है
रेलवे का जवाब
दूसरी ओर, पश्चिमी रेलवे की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सुरेश कुमार ने 2019 में उच्च न्यायालय द्वारा बुनियादी ढांचे के संबंध में कुछ निर्देश जारी किए थे और उनका अनुपालन किया गया था। उन्होंने कहा कि सभी ट्रेनों और पटरियों का अधिकतम क्षमता पर उपयोग किया जा रहा है।
पीठ ने तुरंत कहा कि रेलवे जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है और केवल यह कहकर बहाने नहीं बना सकता है कि उसने दिशानिर्देशों का अनुपालन किया है।
हम अधिकारियों को जवाबदेह बनाने जा रहे हैं
पीठ ने कहा, अगर सब कुछ किया गया है तो क्या आप चलती ट्रेनों में होने वाली मौतों या पटरी पार करने के कारण होने वाली मौतों को रोक पाए हैं? क्या आपने वह सब रोक दिया है? हम अधिकारियों को जवाबदेह बनाने जा रहे हैं। मुंबई में स्थिति दयनीय है। आप यह घोषणा करके खुश नहीं हो सकते कि आप 33 लाख लोगों को यात्रा कराते हैं। आपको अपना रवैया और मानसिकता बदलनी होगी।
समिति गठित करने पर विचार कर संभव
पीठ ने अपने आदेश में संकेत दिया कि अदालत यात्रियों की मौतों की चुनौती से निपटने के लिए उच्च स्तरीय अध्ययन करने और उपाय सुझाने के लिए आयुक्त की एक समिति गठित करने पर विचार कर सकती है।