नीलोत्पल आचार्य
भारत के कई हिस्से इतना ज्यादा तप रहे हैं। क्या इसके लिए सिर्फ जलवायु में आता बदलाव जिम्मेवार है या फिर बढ़ता शहरीकरण, घटते पेड़ और जलस्रोत भी वजह हैं? हालात किस कदर खराब हो गए कि भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) को दिल्ली में बढ़ते तापमान के बारे में अलग से जानकारी तक साझा करनी पड़ी।
सिंध में तापमान 52.2 डिग्री
कुछ ऐसी ही स्थिति पड़ोसी देश पाकिस्तान की भी है, पाकिस्तानी मौसम विभाग के मुताबिक सिंध प्रान्त में तापमान 52.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। नतीजन लू और भीषण गर्मी ने लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी को बेहद मुश्किल बना दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्यों भारत के कई हिस्से इतना तप रहे हैं। क्या इन सबके लिए सिर्फ जलवायु बदलाव जिम्मेवार है या हम इंसानों ने जिस तरह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है, उसका भी असर अब हम पर पड़ रहा है।
बढ़ते तापमान का रिकॉर्ड
वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें कोई शक नहीं कि वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहा है। इसका नजारा वर्ष की शुरूआत से ही दिखने लगा था जब 2024 के शुरूआती चारों महीनों ने बढ़ते तापमान का रिकॉर्ड कायम किया था। अप्रैल, 2024 में तो वैश्विक तापमान सामान्य से 1.32 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया।
सबसे गर्म वर्ष होने की 61 फीसदी आशंका
नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ अप्रैल 2024 के अब तक के सबसे गर्म अप्रैल होने की पुष्टि यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी की थी। वैज्ञानिक भी 2024 के अब तक के सबसे गर्म वर्ष होने की 61 फीसदी आशंका जता चुके हैं। दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल रहा। जब भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों ने इस क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया।
भीषण गर्मी और लू का कहर
भारत, दक्षिण-पूर्व चीन और फिलीपींस के कई क्षेत्रों में अप्रैल के दौरान भीषण गर्मी और लू का कहर दर्ज किया गया। भारतीय मौसम विभाग ने भी पुष्टि की है कि 1901 के बाद से पूर्वी भारत के लिए यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल था | आंकड़ों की मानें तो जून 2023 से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड न बनाया हो।
समुद्र भी तप रहे
देखा जाए तो धरती ही नहीं, समुद्र भी तप रहे हैं, जहां बढ़ता तापमान नए शिखर तक पहुंच गया है। एशिया में भारत के साथ-साथ, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, मलेशिया और फिलीपींस में भीषण गर्मी पड़ रही है।
बांग्लादेश के 57 जिलों में भीषण गर्मी
अकेले बांग्लादेश के 64 में से 57 जिले भीषण गर्मी से जूझते रहे यानी 12 करोड़ से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं। म्यांमार में 28 अप्रैल 2024 को पारा 48.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जो उस देश में दर्ज अब तक का सबसे ज्यादा तापमान है। इसी तरह नेपाल का नेपालगंज शहर पिछले कई हफ्तों से 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान की चपेट में है।
– अभी नहीं संभले तो हो जाएगी बहुत देर
इसी तरह अफ्रीका के कई हिस्सों में भी इस साल लम्बे समय तक लू का कहर जारी था। बांग्लादेश, फिलीपींस और दक्षिण सूडान में भीषण गर्मी और लू से स्थिति इस कदर बिगड़ गई कि वहां स्कूलों तक को बंद कर देना पड़ा।
दुनिया में तेजी से बढ़ते तापमान की छवि को स्पष्ट करती एक और रिपोर्ट क्लाइमेट सेंट्रल ने जारी की है। इसके मुताबिक जलवायु में आते बदलावों के चलते पिछले साल मानव जाति को औसतन 26 दिन ज्यादा गर्मी सहनी पड़ी। वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु में बदलाव न होते तो यह स्थिति न बनती।
उनके मुताबिक 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष था और उसकी सबसे बड़ी वजह हम इंसानों द्वारा किया जा रहा उत्सर्जन था। मतलब यह कि हम इंसान ही हैं जिन्होंने बढ़ते तापमान को नए शिखर तक पहुंचा दिया है। अभी भी न सुधरे तो हो जाएगी देर। फिर पछताने के अलावा कुछ भी हाथ में नहीं रहेगा।
इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 78 फीसदी आबादी यानी 630 करोड़ लोग मई 2023 से ही असामान्य गर्मी से जूझ रहे हैं।
कम से कम 31 दिनों तक भीषण गर्मी झेली
आंकड़ों की मानें तो मई 2023 से मई 2024 के बीच इस आबादी ने 12 महीनों की अवधि में कम से कम 31 दिनों तक भीषण गर्मी का सामना किया था। जो 1991 से 2020 के बीच स्थानीय स्तर पर दर्ज 90 फीसदी तापमान से अधिक थी। इस भीषण गर्मी में इंसानों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन की भूमिका कम से कम दोगुणी थी।