ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) यानी प्रक्षेपण यान को दोबारा इस्तेमाल करने वाली तकनीक का लगातार तीसरी बार सफल टेस्ट किया। इसके तहत ‘पुष्पक’ नाम के आरएलवी को तेज हवाओं के बीच लैंड कराकर बड़ी सफलता हासिल की। इस लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (एलईएक्स) को पूरा करने के बाद इसरो अब रिटर्न-टु- फ्लाइट एक्सपेरिमेंट (आरईएक्स) और स्क्रैमजेट प्रपल्शन एक्सपेरिमेंट ( एसपीईएक्स) को अंजाम देगा।
अगले दशक से आरएलवी के इस्तेमाल होने की उम्मीद है। इस मिशन का मकसद अंतरिक्ष से लौटने वाले यान की सुरक्षित लैंडिंग कराने के बाद उसका फिर से इस्तेमाल करना है।
टेस्ट में क्या हुआ
– ‘पुष्पक’ को रनवे से 4.5 किलोमीटर दूर ले जाया गया।
– फिर चिनूक हेलिकॉप्टर से उसे 500 मीटर की ऊंचाई पर ले जाकर छोड़ा गया।
– पुष्पक ने रनवे पर हॉरिजेंटल लैंडिंग की।
– ब्रेक पैराशूट की मदद से इसकी रफ्तार 320 किमी./घंटे से घटाकर 100 किमी./घंटे तक लाए।• फिर पहियों के ब्रेक ने काम किया और यह पूरी तरह से रुक गया।
– • पुष्पक ने रनवे पर खुद को स्थिर रखने के लिए रडार और नोज व्हील स्टेयरिंग इस्तेमाल किया।
मिशन से क्या फायदा
– मिशन का मकसद अंतरिक्ष से लौटने वाले यान की सुरक्षित लैंडिंग कराने के बाद उसका फिर से इस्तेमाल करना है।
– • स्पेस में आना- जाना सस्ता और आसान हो जाएगा।
– • सैटेलाइट में खराबी होने पर आरएलवी की मदद से उसे रिपेयर किया जा सकेगा।