ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इंडियन नेवी के लिए न्यूक्लियर सबमरीन के निर्माण की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इसी साल स्वदेश में ही न्यूक्लियर सबमरीन निर्माण के लिए मंजूरी दे सकती है। नेवी के पास अभी एक भी न्यूक्लियर सबमरीन नहीं है और चीन की तरफ से बढ़ते खतरे को देखते हुए इसकी सख्त जरूरत बताई जा रही है।
सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया
सूत्रों के मुताबिक नेवी की तरफ से न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत को लेकर सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है और सरकार ने भी इस पर सैद्धांतिक सहमति दी है। नेवी के पास अभी दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। न्यूक्लियर सबमरीन एक महीने से भी अधिक वक्त तक बिना किसी की पकड़ में आए पानी के अंदर रह सकती है। चीन जिस तरह इंडियन ओशन रीजन में गतिविधियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, उसे देखते हुए न्यूक्लियर सबमरीन की सख्त जरूरत बताई जा रही है।
– नौसेना के पास अभी एक भी न्यूक्लियर सबमरीन नहीं
चीन ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का सी-ट्रायल पूरा किया
चीन ने तीन महीने पहले ही अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का पहला सी-ट्रायल पूरा किया है। चीन पहले ही अपना चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का एलान कर चुका है और चीन का चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर न्यूक्लियर पावर सुपर कैरियर होगा। सूत्रों का कहना है कि अगर चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर इंडियन ओशन रीजन की तरफ आते हैं तो इसके लिए भारत को तैयारी करनी होगी और न्यूक्लियर सबमरीन इसलिए जरूरी है।
प्रोजेक्ट-75आई ने भी रफ्तार पकड़ी
नेवी के लंबे वक्त से अटके पड़े प्रोजेक्ट-75आई ने भी अब कुछ रफ्तार पकड़ी है। इस प्रोजेक्ट के तहत इंडियन नेवी को 6 नई सबमरीन मिलनी हैं। ये सबमरीन एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन वाली होंगी, ये सिस्टम सबमरीन को ज्यादा वक्त तक पानी के नीचे रहने में मदद करता है। अभी इंडियन नेवी के पास इस तरह की भी कोई सबमरीन नहीं है। अभी नेवी के पास 16 कनवेंशनल सबमरीन हैं। जिसमें 5 कलवरी क्लास सबमरीन हैं और एक और कलवरी क्लास सबमरीन जल्दी ही मिलेगी। इसके अलावा जो भी सबमरीन नेवी के पास हैं वे 30 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं और नेवी को उन्हें रिप्लेस करना है।