सिंधु झा
भारत ने संघर्ष के समय दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए 2015 से हर साल एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत को किसी भी समय देश के बाहर लगभग 3.5 करोड़ लोगों की देखभाल करनी होती है और इसके लिए दैनिक आधार पर तैयारी की आवश्यकता रहती है। ये बातें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भोपाल के टाउन हॉल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि नेपाल में ऑपरेशन मैत्री, यमन में ऑपरेशन राहत और दक्षिण सूडान में संकट मोचन इसके कुछ उदाहरण हैं। यह आज आवश्यक है और ऐसा करने के लिए आपके पास तैयारी, सोच, योजना और संसाधन होने चाहिए। तुर्की में भूकंप के दौरान, इस्राइल में आतंकवादी हमलों के दौरान, हमें अपने लोगों को वापस लाना पड़ा। कोविड के दौरान एक मिशन था जिसका नाम था वंदे भारत मिशन, इसके जरिए हम 70 लाख लोगों को भारत वापस लाए। दुनिया के किसी भी देश ने ऐसा आज तक नहीं किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का समय आ गया है। जयशंकर ने कहा कि अगर आप दुनिया भर में देखें, तो एनआरआई, भारतीय मूल के व्यक्ति, उनकी कुल संख्या लगभग 3.5 करोड़ है। अब सोचिए, हमें रोजाना 3.5 करोड़ लोगों की जिम्मेदारी लेनी होगी। इनमें से लगभग आधे विदेशी नागरिक हैं, लेकिन अभी भी लगभग 2 करोड़ भारतीय नागरिक भारत से बाहर हैं। लगभग 13 लाख भारतीय छात्र भारत से बाहर हैं।
तकरीबन 2-3 लाख भारतीय मर्चेंट शिपिंग में लगे हुए हैं। लगभग 90 लाख लोग खाड़ी के देशों में रहते और काम करते हैं। सुरक्षित वतन वापसी बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए तैयारी करना इसलिए जरूरी है क्योंकि भारत आज दुनिया का एक वैश्विक कार्यस्थल बन चुका है। भारत की जी20 की अध्यक्षता पर बोलते हुए विदेश मंत्री ने याद किया कि कैसे अफ्रीकी नेताओं ने जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करने के लिए आभार व्यक्त किया था।
जी20 नई दिल्ली में हुआ था और इसने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था कि जब जी20 में इतने सारे संघर्ष और तनाव थे, तो हम एक संयुक्त बयान कैसे लाने में सक्षम हुए, वह भी शिखर सम्मेलन के पहले दिन।