ब्लिट्ज ब्यूरो
गोरखपुर। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की नई महायोजना (2031) को जल्द ही प्रभावी किया जाएगा। इसके मार्ग में बाधा बनी शासकीय समिति की ओर से लगाई गईं तीन शर्तों को हटाने के लिए शासन ने जीडीए बोर्ड को अधिकृत किया है। इस संबंध में पत्र जारी कर दिया गया है। इसके लिए बोर्ड को व्यावहारिक नीति बनानी होगी।
व्यावहारिक पक्ष का होगा परीक्षण
नीति बनाने के लिए पहले एक समिति बनाकर तीनों शर्तों को लेकर व्यावहारिक पक्ष का परीक्षण कराया जाएगा। लोगों के हित में इन शर्तों को हटाना कितना जरूरी है, इस बात पर समिति मंथन करेगी। समिति की शर्तों के बाद बोर्ड नीति बनाने पर निर्णय लेगा। यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने की दिशा में कार्यवाही शुरू हो गई है।
भेजे थे ये सुझाव
जीडीए की ओर से शासकीय समिति को भेजे गए महायोजना 2031 के प्रारूप पर मंथन करने के बाद समिति ने कुछ सुझाव दिए थे। इनमें बाढ़ क्षेत्र को मनोरंजनात्मक क्षेत्र में बदलने के बजाय बाढ़ क्षेत्र ही रखने, ऐसे विनियमित क्षेत्र जहां हरित भू उपयोग हो और जमीन खाली हो, वहां मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने व उसका खर्च बने मकानों से वसूल करने को कहा गया था।
इसी के साथ हरित क्षेत्र से अतिरिक्त स्थान पर बने मकानों को नियमित करने के लिए निर्धारित नीति के अनुसार कार्यवाही करने को कहा गया था। इन सुझावों को जीडीए बोर्ड ने स्वीकार नहीं किया था, लेकिन जब महायोजना को लागू करने का पत्र जारी किया गया तो शासकीय समिति ने शर्तों को बरकरार रखा।
शर्तों को हटाने का अनुरोध
इसके बाद जीडीए की ओर से इन शर्तों को हटाने का अनुरोध किया गया। अनुरोध पत्र के बाद मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भी इस बात पर चर्चा हुई थी। उसके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि सभी शर्तों के मामले में व्यावहारिक नीति बनाने का अधिकार जीडीए बोर्ड को होगा।
जारी हो चुका आदेश पत्र
इस आशय का आदेश जारी हो चुका है और मंडलायुक्त के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। यह निर्णय लिया गया कि नीति बनाने से पहले समिति से परीक्षण कराया जाए।
इन बातों का होगा परीक्षण
शासन ने बाढ़ क्षेत्र को मनोरंजनात्मक क्षेत्र घोषित करने से जुड़ी शर्त हटाने से पहले सिंचाई विभाग से आख्या प्राप्त करने को कहा है। आख्या प्राप्त करने के साथ बाढ़ क्षेत्र को मानचित्र पर चिह्नित करते हुए शेष क्षेत्र को मनोरंजनात्मक क्षेत्र घोषित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त विनियमितीकरण से संबंधित दोनों मामलों में प्राधिकरण बोर्ड व्यावहारिक नीति बनाएगा।
महायोजना में प्रस्तावित मार्ग को लेकर भी लिया जाएगा निर्णय
नई महायोजना में मेडिकल कालेज के दक्षिण में प्रस्तावित 30 मीटर के महायोजना मार्ग को विलोपित करने का प्रस्ताव किया गया था। शासकीय समिति ने इसे भी पूर्ववत ्रखने को कहा था। जिस पर जीडीए की ओर से इसे हटाने का अनुरोध किया गया था। शासन ने इस बिन्दु पर निर्णय लेने को भी जीडीए बोर्ड को अधिकृत किया है। समिति के माध्यम से प्राधिकरण स्थलीय परिस्थितियों का परीक्षण कराएगा और उसके आधार पर मार्ग को विलोपित करने या चौड़ाई कम करने पर निर्णय लेगा।