अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए 21 अक्टूबर का दिन एक बार फिर बेहद खास रहा। इस दिन भारत ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाई। तमाम बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए इसरो ने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च कर एक नया इतिहास रच दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सुबह 10 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 और टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट (टीवी-डीवी1) भी कहा जा रहा है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि टीवी-डीवी 1 (क्रू मॉड्यूल) मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है। इस सफलता के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई जिसने अपनी एक और नई क्षमता का प्रदर्शन कर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गगनयान मिशन की सफल टेस्ट उड़ान के लिए इसरो के विज्ञानियों को शुभकामनाएं दीं हैं। उन्होंने कहा, “यह प्रक्षेपण हमें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान को साकार करने के एक कदम और करीब ले जाता है।
इस उड़ान के साथ ही अब इसरो के गगनयान अभियान की उड़ानों के परीक्षणों की शुरुआत हो गई है। साल 2025 तक गगनयान अभियान भारतीय धरती से और देश में ही तैयार हुए अंतरिक्ष यान के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की पहली कक्षा में ले जाएगा। इस यान की पहली क्रू रहित उड़ान अगले साल के अंत में भरी जाएगी। यह अभियान भारत के अंतरिक्ष विज्ञान की तकनीक में एक नई छलांग है क्योंकि यह पहली बार होगा जब भारत अपनी स्वदेशी तकनीक से न केवल तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा बल्कि पहली बार ही अंतरिक्ष से वापस सुरक्षित लाने का भी काम करेगा। इस अभियान के जरिए इसरो इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में सात दिनों तक करीब 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजेगा। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खास तरह के स्पेस सूट डिजाइन किए गए हैं और यात्रियों के रहने के लिए प्रशिक्षण कार्य में रूस का सहयोग मिला है। वहीं उनके लिए कैप्सूल का निर्माण इसरो ने खुद तैयार किया है जिसमें यात्रियों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जा रहा है।
गगनयान मिशन सफल होने पर दुनिया में भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में जबरदस्त धाक बनेगी। भारत ऐसा चौथा देश होगा जो अपने मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में जा कर फिर से उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लेकर आएगा। इससे वह दुनिया को दिखा पाएगा कि उसके पास भी वह तकनीक है जिसके जरिए वो मानव को चांद पर भी भेज सकता है। अगर भारत ऐसा करने में सफल हो जाता है तो वह अमेरिका, रूस (सोवियत संघ) और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा जहां अंतरिक्ष में मानव को भेजने के लिए जरूरी प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है।
इसरो का चंद्रयान-3 मिशन चांद पर झंडा पहले ही गाड़ चुका है। सूर्य यान भी अपने सफर पर निकल चुका है। चांद, सूरज के बाद अब इसरो की नजर पूरे अंतरिक्ष पर है। इसके लिए इसरो ने गगनयान मिशन को तैयार कर लिया है। वैज्ञानिक दिन-रात इस मिशन पर लगे हैं। अभी इसरो ने गगनयान मिशन की टेस्ट व्हीकल की सफल लॉन्चिंग की है लेकिन 2040 तक उसके कई टारगेट हैं। गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च कर इसरो दुनिया को यह बताने में सफल रहा है कि आने वाले वक्त में अंतरिक्ष का बादशाह वही होगा। जब गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट ने सफलता के कदम चूमे तो इसरो ऑफिस के अंदर का माहौल पूरा बदल गया था। जश्न, जोश दोनों साथ-साथ नजर आ रहे थे और साथ में ही वैज्ञानिकों का आत्म विश्वास भी अंतरिक्ष की ऊंचाइयां छू रहा था।
गगनयान मिशन को सफल बनाने और इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए अभी और भी टेस्ट होने बाकी हैं। फिलहाल गगनयान मिशन में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने पहला अहम पड़ाव पार कर लिया है। अभी टीवी-डी2 और मानव रहित गगनयान (एलवीएम3-जी1) का भी टेस्ट होगा। अब हर देशवासी को गगनयान मिशन के अगले टेस्ट का इंतजार रहने वाला है। खैर, भारत का मिशन सिर्फ गगनयान तक ही सीमित नहीं है। ये मिशन भविष्य में लगातार चलते रहेंगे। इसकी लिस्ट भी काफी लंबी-चौड़ी है। अभी भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन भी बनना है, तो चांद पर भारतीय के कदम भी पड़ने बाकी हैं। हालांकि 2024 में भी इसरो एक मिशन लॉन्च करेगा। ये नासा और इसरो का संयुक्त मिशन ‘निसार’ होगा। इस पर 2014 में साझेदारी समझौता हुआ था। अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियां इसे तैयार कर रही हैं। इस मिशन को जनवरी 2024 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जा सकता है। यह एक ऐसा अपर्चर रडार है जिसकी मदद से दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदा का अंदाजा पहले ही लगाया जा सकेगा। हम आशा रखते हैं कि इसरो के ‘अंतरिक्ष अभियानों का अनंत सफर’ ‘अनंत अंतरिक्ष’ की तरह इसी प्रकार जारी रहेगा एवं सफलता के नए-नए सोपान चढ़ता रहेगा।