ब्लिट्ज ब्यूरो
रोम। इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन की शुरुआत अमेरिका द्वारा यूक्रेन को 50 अरब डॉलर के ऋण के लिए समर्थन देने के प्रस्ताव पर सहमति के साथ हुई। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने दक्षिणी इटली के एक रिसॉर्ट में आयोजित शिखर सम्मेलन में जी7 के राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत करते हुए कहा कि वह चाहती हैं कि इस बैठक का संदेश ग्लोबल साउथ के साथ संवाद और एकता का हो। इस शिखर सम्मेलन में भारत को भी आमंत्रित किया गया है। भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। सवाल उठता है कि जॉर्जिया मेलोनी ने जी7 शिखर सम्मेलन में भारत को क्यों आमंत्रित किया है।
सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत
जी7 उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है। 3.94 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जापान सहित कई जी7 देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी इसके महत्व को और ज्यादा बढ़ाती है।
चीन का जवाब भारत
इसके अतिरिक्त, भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो चीन की मुखरता के प्रति संतुलन के रूप में कार्य करता है। इटली के साथ इसके सुधरते संबंध, रूस और कई अफ्रीकी देशों के साथ दीर्घकालिक संबंधों के साथ, भारत को आर्थिक सुरक्षा, भू-राजनीतिक स्थिरता, मुखरता और विकास पर चर्चा में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं।
इटली ने कई अन्य देशों को भी दिया न्यौता
भारत के अलावा, गैर-जी7 सदस्य देशों के कई अन्य नेताओं को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया। इनमें तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव भी हुए शामिल
उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस व आईएमएफ और विश्व बैंक के अधिकारी भी शामिल हुए। इसके अलावा, केन्या, अल्जीरिया और अफ्रीकी संघ जैसे अफ्रीकी देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया।