मनोज जैन
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था विभिन्न संकटों से जूझ रही है और वैश्विक महामारी के बाद से वैश्विक वृद्धि पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि सुधार हो रहा है लेकिन उसकी रफ्तार सुस्त है और वह एकसमान नहीं है। सीतारमण ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ने वैश्विक आबादी के उन बहुसंख्यक लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्पष्ट नीतिगत दिशा प्रदान की है जिनकी आवाज को अक्सर बहुपक्षीय मंचों पर अनसुना कर दिया जाता है। वह वित्त मंत्रालय, श्रम मंत्रालय और वाणिज्य विभाग द्वारा मजबूत, सतत, संतुलित एवं समावेशी विकास पर आयोजित सेमिनार में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत तक भारत की जी20 अध्यक्षता भले ही खत्म हो जाएगी, लेकिन नई दिल्ली घोषणा के नीतिगत मार्गदर्शन पर गति बरकरार रहनी चाहिए।
नतीजों को आगे बढ़ाना है
सीतारमण ने कहा, ‘हमें नतीजों को आगे बढ़ाने के लिए न केवल जी20 के सदस्यों के साथ तालमेल बिठाना चाहिए बल्कि हमें यह भी पता लगाना चाहिए कि हम इन परिणामों को भारत की घरेलू नीति निर्माण प्रक्रिया में किस प्रकार समाहित कर सकते हैं ताकि हम उदाहरण पेश कर सकें।’
जी20 अध्यक्षता के तहत आखिरी बैठक
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने घोषणा की कि नई दिल्ली घोषणा के बाद प्रगति का जायजा लेने के लिए जी20 नेताओं की वर्चुअल बैठक 22 नवंबर को होगी। यह भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत आखिरी बैठक होगी।
मजबूत, टिकाऊ, संतुलित एवं समावेशी वृद्धि बनी रहे
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक एवं घरेलू, दोनों मोर्चों पर नीतिगत समन्वय यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि वृद्धि पटरी पर लौट आए और वह मजबूत, टिकाऊ, संतुलित एवं समावेशी बनी रहे। उन्होंने कहा, ‘नई दिल्ली घोषणा समावेशी विकास को बढ़ावा देने और व्यापक आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक आर्थिक एवं ढांचागत नीतियों को तत्काल लागू करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।’
वैश्विक वृद्धि की मौजूदा रफ्तार सुस्त
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक वृद्धि की मौजूदा रफ्तार सुस्त है जो महामारी से पहले के दो दशकों में 3.8 फीसदी के औसत से काफी नीचे है। इसलिए मध्यावधि में विकास की संभावनाएं कहीं अधिक कमजोर हो गई हैं।