आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारत सरकार ने घोषणा की है कि नेक्स्ट जेनरेशन की ब्रह्मोस मिसाइल के प्रोडक्शन के लिए लखनऊ में प्लांट तैयार हो रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल अपनी सटीक मारक क्षमता और सुपरसोनिक गति के लिए जानी जाती है। ये दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल का प्रोडक्शन प्लांट तैयार होने में दो साल लगेंगे। इसके बाद 2026 से 2027 के बीच ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। यह हल्की, तेज और ज्यादा घातक मिसाइल है। ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल अभी विकास के चरण में है।
यह मिसाइल अपने पुराने वर्जन से तेज, हल्की और ज्यादा घातक है। लखनऊ से मिसाइल बनने का फायदा देश के रक्षा उद्योग को होगा। साथ ही दुनियाभर के देश इस मिसाइल को खरीदने की डिमांड करेंगे। अपनी और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए लखनऊ का ब्रह्मोस प्रोडक्शन प्लांट बेहद कारगर साबित होगा।
ब्रह्मोस-एनजी की ताकत
यह ब्रह्मोस मिसाइल का नेक्स्ट जेनरेशन वर्जन है। इसकी पहली उड़ान 2024 के अंत में संभव है। डीआरडीओ के अनुसार यह ब्रह्मोस मिसाइल का नया मिनी वर्जन है। इस मिसाइल की रेंज 290 किमी होगी। इतनी दूरी यह 4321 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से कवर करेगी। दुश्मन देखते ही देखते ढेर हो जाएगा।
– 400 ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों की जरूरत : वायुसेना
ओरिजिनल ब्रह्मोस से हल्की और ज्यादा घातक
इसका वजन 1.5 टन होगा, लंबाई 6 मीटर।
यह पहले वाली ब्रह्मोस मिसाइल से 50 फीसदी हल्की और तीन मीटर छोटी होगी ताकि सटीक मार कर सके।
इसे ऐसा बनाया जा रहा है कि किसी रडार की पकड़ में नहीं आएगी
शुरुआत में इसका नाम ब्रह्मोस-एम रखा गया था।
किसी भी तरह के फाइटरजेट में हो जाएगी फिट
इस मिसाइल को सुखोई-एसयू-30एमकेआई, मिकोयान एमआईजी-29के, तेजस, तेजस-2 और राफेल फाइटर जेट में लगाया जा सकता है। बाद में इस मिसाइल को भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों में लगाया जाएगा। ये अत्याधुनिक पी75I सबमरीन में लगाई जाएगी। वायुसेना ने कहा है कि उन्हें 400 ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों की जरुरत है।