ब्लिट्ज ब्यूरो
रियो डि जेनेरियो। दुनिया का हर 11वां शख्स भुखमरी से जूझ रहा है। साल 2023 के आंकड़े के अनुसार वैश्विक स्तर पर 73.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें भरपेट खाना नसीब नहीं हो रहा। वहीं, 2019 की तुलना में इनकी संख्या में 15.2 करोड़ का इजाफा हुआ है। वहीं, अफ्रीका में हर पांचवें व्यक्ति के सामने पेट भरने का संकट है।
खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर रिपोर्ट जारी
दुनिया में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर जारी हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 233 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें नियमित पर्याप्त भोजन के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति अभी भी कोविड 19 से पहले के स्तर से कहीं ज्यादा है। वहीं, पोषण के मामले में दुनिया 15 साल पीछे चली गई है और कुपोषण का स्तर 2008-2009 के स्तर पर पहुंच चुका है।
संयुक्त रिपोर्ट प्रकाशित
‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2024’ रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त रूप से प्रकाशित की है।
2030 तक 58.2 करोड़ लोगों को झेलना पड़ेगा कुपोषण
रिपोर्ट में चेताया गया है कि यदि मौजूदा परिस्थितियां ऐसी ही जारी रहती हैं, तो 2030 तक करीब 58.2 करोड़ लोगों को लंबे समय तक कुपोषण से जूझना होगा। यह स्थिति अफ्रीका के लिए कहीं ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इनमें से करीब आधे लोग अफ्रीकी महाद्वीप के होंगे।
भुखमरी से छुटकारा अभी दूर की कौड़ी
खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो के मुताबिक, हम अभी भी दुनिया को भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण से छुटकारा दिलाने के लक्ष्य की दिशा से काफी पीछे हैं। वर्तमान में अफ्रीका की 20 फीसदी से ज्यादा आबादी खाने की कमी से जूझ रही है।
दक्षिण अमेरिका में सुधरे हालात
रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अमेरिका में इस दिशा में हालात कुछ सुधरे हैं। वहां 6.2 फीसदी लोग खाने की कमी से त्रस्त हैं। यदि 2022-23 के दरमियान देखें तो पश्चिमी एशिया, कैरीबियाई देशों और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में स्थिति पहले से खराब हुई है। अफ्रीका की 58 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में खाद्य असुरक्षा से प्रभावित है।
280 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित
2022 में करीब 280 करोड़ से ज्यादा लोग पोषण युक्त आहार का उठा पाने में असमर्थ थे। यह समस्या कमजोर देशों में कहीं ज्यादा गंभीर है, जहां 71.5 फीसदी आबादी स्वस्थ व पोषण युक्त आहार का खर्च उठा पाने में असमर्थ है।