विनोद शील
नई दिल्ली। भारत के आर्थिक परिदृश्य को लेकर निरंतर गुड न्यूज आ रही हैं। भारत का दुनिया में डंका बज रहा है और अमेरिका तथा चीन पिछड़ रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली की ओर से भारत की रेटिंग 4 माह में दूसरी बार बढ़ाए जाने से निवेशकों का भरोसा देश के प्रति और बढ़ा है तथा बढ़ेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। ऐसा होने पर विदेशी इन्वेस्टमेंट का रास्ता भी साफ होगा।
4 महीने पहले 31 मार्च को ब्रोकरेज फर्म ने भारत को ‘अंडरवेट’ से ‘इक्वलवेट’ में अपग्रेड किया था। अब ये रेटिंग एक बार फिर से बढ़ाते हुए ‘ओवरवेट’ कर दी गई है। एक ओर जहां रेटिंग एजेंसियां अमेरिका और चीन जैसे देशों की रेटिंग घटा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इनका भारत पर भरोसा कायम है। मॉर्गन स्टेनली का मत है कि भविष्य में भी भारतीय अर्थव्यवस्था इसी तरह बेहतर प्रदर्शन करेगी।
– सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में 13 साल के उच्चतम स्तर पर
– 2031 तक 6.7 ट्रिलियन डॉलर की होगी इकोनॉमी
चीन-ताइवान की रेटिंग को घटाया
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रोकरेज फर्म ने चीन की रेटिंग को डाउनग्रेड किया है तथा इसे कम करते हुए ‘इक्वलवेट’ कर दिया है क्योंकि चीन में विकास और वैल्यूएशन से जुड़ी हुई चिंताएं कायम हैं। ताइवान की रेटिंग को भी डाउनग्रेड करते हुए इक्वलवेट कर दिया गया है।
विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ सालों यानि कि मोदी सरकार के कार्यकाल में स्ट्रक्चरल रिफॉर्म देखने को मिले हैं जिसका असर अब दिख रहा है। वित्तीय स्थिरता से कैपेक्स और प्रॉफिट आउटलुक को सपोर्ट मिला है। भारत के अलावा कोरिया की रेटिंग को भी ‘ओवरवेट’ किया गया है जबकि ऑस्ट्रेलिया को डाउनग्रेड करते हुए ‘अंडरवेट’ कर दिया गया है। इस बीच देश में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। मांग की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में तेजी से नए कारोबार और उत्पादन में सबसे मजबूत वृद्धि दर्ज होने के कारण यह शीर्ष स्तर हासिल हुआ है।
एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज के अनुसार पीएमआई बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जून के 58.5 से बढ़कर जुलाई में 62.3 हो गया जो जून 2010 के बाद से उत्पादन में सबसे तेज वृद्धि का संकेत है। लगातार 24 वें महीने हेडलाइन आंकड़ा न्यूट्रल 50 की सीमा से ऊपर रहा। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) की भाषा में कहें तो 50 से ऊपर का सूचकांक विस्तार को दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन का सूचक है। इस उछाल के लिए मुख्य रूप से मांग की मजबूती और नए व्यावसायिक लाभ को जिम्मेदार ठहराया गया। जुलाई के दौरान 13 वर्षों में भारतीय सेवाओं की मांग में सबसे अधिक सुधार हुआ। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिक्री में व्यापक वृद्धि, खासकर चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में विशेष रूप से स्वागत योग्य खबर है।
जहां मॉर्गन स्टेनली ने भारत पर भरोसा जताते हुए देश की रेटिंग को ‘इक्वलवेट’ से ‘ओवरवेट’ कर दिया है तो वहीं एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने रिपोर्ट में कहा है कि दरों में बढ़ोतरी और वैश्विक मंदी की अल्पकालिक चुनौतियों के बावजूद भारत अगर अगले 7 साल तक औसतन 6.7 फीसदी की दर से वृद्धि करता है तो इंडियन इकोनॉमी साल 2031 तक 6,700 अरब डॉलर (6.7 ट्रिलियन डॉलर) की हो जाएगी जो फिलहाल 3.4 ट्रिलियन डॉलर की है। एसएंडपी ग्लोबल ने ‘लुक फॉरवर्ड: इंडियाज मनी’ शीर्षक रिपोर्ट में एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है। इस आधार पर भारत समूह20 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। पिछले माह आईएमएफ ने भारत के विकास का अनुमान बढ़ाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया था जबकि आरबीआई ने 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
4500 डॉलर तक होगी प्रति व्यक्ति जीडीपी
एसएंडपी को उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 6.7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। इससे प्रति व्यक्ति जीडीपी भी लगभग 4500 डॉलर तक बढ़ सकती है।
फिच ने घटाई रेटिंग, अमेरिका को तगड़ा झटका
ग्लोबल एजेंसी फिच रेटिंग्स ने अमेरिका की रेटिंग को एएए से घटाकर एए+ कर दिया है। 2011 के बाद से अमेरिका की रेटिंग को पहली बार घटाया गया है।
यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर इक्वलवेट, ओवरवेट और अंडरवेट रेटिंग का मतलब क्या होता है। ओवरवेट का मतलब होता है कि देश का मार्केट दूसरे बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगा। वहीं इक्वलवेट इस बात का संकेत है कि मार्केट दूसरे बाजारों के बराबर प्रदर्शन करेगा। अंडरवेट रेटिंग का अर्थ है कि मार्केट दूसरे बाजारों से पिछड़ा रहेगा।