ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत वास्तव में तेजी से उभरती हुई ‘महान शक्ति’ बन सकता है और इस बात की पूरी संभावना है कि 2050 तक उसकी अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिका के बराबर हो जाएगा । यह मानना है जाने-माने आर्थिक टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ का। वुल्फ ने कहा, ‘मेरा मत है कि भारत 2050 तक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 5 प्रतिशत सालाना पर बनाए रखने में सक्षम होगा और भारत एक ‘ब्राइट स्पॉट’ के रूप में उभरा है। फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे कॉलम में वुल्फ कहते हैं कि बेहतर नीतियों के साथ भारत में विकास थोड़ा अधिक अथवा कम भी हो सकता है पर भविष्य को देखते हुए पश्चिमी देश सोच-समझकर ही भारत पर दांव लगा रहे हैं।
नका मत है कि ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का पालन करने वाली कंपनियों के लिए भारत एक ‘ब्राइट स्पॉट’ है और बड़े घरेलू बाजार के स्पष्ट प्रतिस्पर्धियों की तुलना में इसे बढ़त हासिल है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और क्रय शक्ति के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। संयुक्त राष्ट्र ने 2050 तक देश की आबादी 1.67 अरब तक पहुंचने का अनुमान लगाया है और वर्तमान में यह 1.43 अरब है। वुल्फ ने कहा कि देश की बैंक बैलेंस शीट भी ठीक हाल में है और कुल मिलाकर, क्रेडिट इंजन (देश के बैंक) एक बार फिर अच्छी स्थिति में हैं।
वुल्फ ने कहा कि आने वाले दशकों में देश की आबादी और अर्थव्यवस्था, दोनों के तेजी से बढ़ने का अनुमान है जो चीन को टक्क र देता है। जो बाइडन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाशिंगटन में गर्मजोशी से गले लगाना और पेरिस में एमैनुएल मैक्रों की ओर से भारतीय नेता को सम्मान व गर्व से गले लगाना एक ऐसे देश के साथ करीबी संबंध स्थापित करने जैसा है जिसके चीन का मुकाबला करने के लिए एक शक्तिशाली देश होने की उम्मीद है। क्या यह पश्चिमी शक्तियों के लिए एक अच्छा दांव है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, हां, भारत के वास्तव में एक उभरती हुई महान शक्ति बनने की पूरी संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2023 से 2028 तक वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर छह प्रतिशत से कुछ अधिक रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की वृद्धि पिछले तीन दशकों की औसत वृद्धि के काफी करीब होगी। यह एक युवा देश भी है, जिसमें अत्यधिक अल्प-नियोजित श्रम शक्ति, उस श्रम शक्ति की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता, यथोचित उच्च बचत दर और अधिक समृद्धि की व्यापक उम्मीदें हैं। इस बीच भारत की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में विश्व बैंक का अध्यक्ष बनने के बाद भारत की अपनी पहली यात्रा के दौरान अजय बंगा ने भी कहा कि कोरोना के दौर की चुनौतियों से भारत और मजबूत बनकर उभरा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के दौर में पीएम मोदी की सरकार कई ऐसे कदम उठा रही है जो भारत को आगे रखने में बहुत मददगार साबित हो रहे हैं। भारत के पक्ष में खास बात यह है कि इसके जीडीपी में बड़ा हिस्सा घरेलू मांग का है। यही खपत इसे प्राकृतिक सहारा प्रदान करती है। बंगा ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान स्कूलों के बंद रहने से पढ़ाई-लिखाई का बहुत अधिक नुकसान हुआ है। इससे निपटना सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, बल्कि दुनियाभर के लिए एक मुद्दा है। हमें अगली महामारी से पहले ही मजबूत प्रणाली तैयार करने की जरूरत हैं।
‘चीन प्लस वन’ रणनीति का लाभ उठाए भारत
विश्व बैंक अध्यक्ष के अनुसार भारत के सामने फिलहाल यह मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का फायदा उठा कर अपनी अर्थव्यवस्था को और आगे ले जा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो एशियाई विकास बैंक ने भी अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बेहतर परिणाम की उम्मीद जगाई है। भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष में चीन से अधिक रहेगी। इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.4 फीसदी की दर से बढ़ेगी जबकि चीन की जीडीपी की वृद्धि दर 5 फीसदी रह सकती है।