नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में कहा कि एक समय था जब छात्र किसी संस्थान में एडमिशन से पहले प्लेसमेंट को प्राथमिकता देते थे। एडमिशन का मतलब डिग्री और डिग्री का मतलब नौकरी होता था। शिक्षा यहीं तक सीमित होती थी लेकिन आज परिदृश्य बदल रहा है। युवा नौकरी के अलावा खुद के स्टार्टअप के बारे में सोच रहे हैं। पहले देश में गिने-चुने स्टार्टअप थे पर अब इनकी संख्या एक लाख से पार हो गई है।
संबोधन के दौरान पीएम ने कहा कि शिक्षा सिर्फ सिखाने नहीं, सीखने की भी प्रक्रिया है। यही वजह है कि लंबे समय तक इसी पर फोकस रहा कि छात्रों को आखिर पढ़ाया क्या जाए? इसी को देखते हुए देश में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। नई शिक्षा नीति के तहत छात्र अपना मनपसंद विषय चुनकर पढ़ाई कर सकेंगे।
आधारशिला रखी
समारोह के दौरान पीएम मोदी ने दिल्ली विश्वविद्यालय कंप्यूटर सेंटर और ‘प्रौद्योगिकी संकाय’ की इमारत और दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक ब्लॉक की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस विवि ने 100 वर्षों से अपने मूल्यों को जिंदा रखा है। दिल्ली विवि सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि एक मूवमेंट रही है। इस विवि ने हर एक मूवमेंट को जिया है।
जिसके पास ज्ञान , वही सुखी
संबोधन के दौरान पीएम ने कहा कि जिसके पास ज्ञान है वही सुखी है, वही बलवान है। वास्तव में वही जीता है जिसके पास ज्ञान है।
दुनिया में नाम है हमारे संस्थानों का
पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारे शिक्षण संस्थान दुनिया में एक अलग पहचान बना रहे हैं। आज पढ़ाई के बाद छात्र कुछ नया करने की सोच रहे हैं। आज देश भर में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय, कॉलेज बनाए जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, एम्स जैसी संस्थाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है।