ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ और महिंद्रा डिफेंस ने मिलकर नया स्वदेशी बख्तरबंद कॉम्बैट व्हीकल बनाया है। यह एक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (व्हाप) है। इससे पहले सेना ने टाटा की ओर से बनाए गए 18 व्हाप वाहन लिए थे। इस बार संभावना है कि ज्यादा मात्रा में ये कॉम्बैट व्हीकल लिए जाएं( इसलिए महिंद्रा की व्हाप का ट्रायल चल रहा है।
मुझे गर्व है
आनंद महिंद्रा ने अपने एक्स (ट्वीट) में लिखा है कि मुझे इस बात का गर्व है कि महिंद्रा डिफेंस डीआरडीओ के साथ मिलकर वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट बनाता है। उनका विकास करता है।
मल्टी वैरिएंट
ये व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म का केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर वैरिएंट है। यह कई तरह के एंफिबियस ऑपरेशन में भाग ले सकता है।
कॉम्पैक्ट डिजाइन
इसका डिजाइन कॉम्पैक्ट है। इसमें 600 हॉर्स पावर का डीजल इंजन लगा है। ये बेहद ऊंचाई वाले स्थानों पर भी ऑपरेशन कर सकता है। इसमें सुरक्षा की नई तकनीक जोड़ी गई है। इसके अंदर हथियारों के साथ कुल 11 लोग बैठ सकते हैं।
हिमालय की ऊंचाई पर भी बेहतरीन काम
यह हिमालय की ऊंचाई पर भी बेहतरीन काम कर सकता है। यह 8×8 पहियों वाला बख्तरबंद वाहन है। बस वर्जन थोड़ा बदला हुआ है।
खासियतें : रिमोट से चलने वाली मशीन गन लगी है। इसका ट्रांसमिशन ऑटोमैटिक है। सड़क पर यह अधिकतम 95 किमी की स्पीड से भाग सकती है। इसकी रेंज अधिकतम 500 किलोमीटर (मैदानी इलाकों में) है। इसकी सुरक्षा के लिए बैलिस्टिक स्टैनाग-2, ब्लास्ट स्टैनाग-1 लगाया गया है ताकि दुश्मन के कई तरह के हमलों से सैनिकों को बचा सके।
रिमोट कंट्रोल्ड वेपन स्टेशन
इसमें 7.62 मिलीमीटर का रिमोट कंट्रोल्ड वेपन स्टेशन लगा रहेगा। यानी भारी मशीन गन जिसे गाड़ी के अंदर बैठा सैनिक रिमोट से ही चला लेगा। उसे बाहर निकल कर दुश्मन पर निशान लगाने की जरूरत नहीं। इससे उसकी जान को भी खतरा नहीं होगा। यह नर्व, ब्लिस्टर, ब्लड, चोकिंग जैसे केमिकल अटैक से भी सैनिकों को बचा लेगा। बैक्टीरिया, वायरस, फंगी और बायो टॉक्सिन जैसे बायोलॉजिकल हमले से भी बचाएगा। रेडिएशन और न्यूक्लियर हमले में जवानों को गामा किरणों से बचाएगा। इसका सस्पेंशन हाइड्रोन्यूमेटिक है।
सीबीआरएन डिटेक्टशन किट 2 किलोमीटर दूर से ही हमले का पता कर लेगी। वाहन के अंदर ही ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन लगा है। एडवांस्ड लैंड नेविगेशन सिस्टम भी लगा है।