ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नई दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल ने दावा किया है कि देश में पहली बार ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित महिलाओं की रोबोटिक सर्जरी की गई है। अस्पताल ने बताया कि सर्जरी के दौरान कुछ महिलाओं की ब्रेस्ट को हटाने की जरूरत भी नहीं पड़ी। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पंजाबी बाग स्थित सीके बिरला अस्पताल के ओंकोलॉजी सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा ने बताया कि डिलिवरी के बाद 27 वर्षीय एक महिला ने ब्रेस्ट में गांठ महसूस होने की शिकायत की। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान ब्रेस्ट में इस तरह के बदलाव सामने आ जाते हैं, मगर महिला अपनी इस तकलीफ को नजरअंदाज करती रही। चिकित्सीय जांच में ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती चरण के होने के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद महिला को कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और नेचुरल सप्लीमेंट दिए गए।
रोबोट की मदद से टिश्यू पुनर्निर्माण
कीमोथेरेपी ट्यूमर के ऑप्टिकल को हटाने में मददगार होती है। बिना किसी परेशानी के रोबोट की मदद से टिश्यू पुनर्निर्माण के साथ ब्रेस्ट को बचाने की सर्जरी की गई। महिला कैंसर के चलते अपने दोनों ब्रेस्ट हटने को लेकर चिंतित थी लेकिन उपचार के बाद महिला ने दोबारा से बच्चे को स्तनपान भी कराया। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि पिछले नवंबर में पहली सर्जरी की गई थी। इसके बाद से अब तक स्तन कैंसर से पीड़ित 15 महिला मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की गई है। डॉ. मनदीप सिंह ने बताया कि इस तकनीक से सामान्य तौर पर शुरुआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की ही सर्जरी हो सकती है क्योंकि शुरुआती स्टेज में कैंसर ज्यादा फैला हुआ नहीं होता। एडवांस स्टेज के स्तन कैंसर से पीड़ित उन्हीं मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की जा सकती है जिन पर शुरुआत में कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी इत्यादि का अच्छा असर दिखता है।
ऐसे होता इलाज
डॉ. मनदीप ने विशेष बातचीत में बताया कि रोबोटिक सर्जरी के लिए स्तन के साइड में छोटा चीरा लगाया गया और ट्यूमर निकालने के बाद पीठ के हिस्से से फैट लेकर दोबारा स्तन बना दिया गया, जो पूरी तरह सामान्य है। मरीज को कोई बड़ा चीरा नहीं लगाना पड़ता। इस तकनीक से सर्जरी में ज्यादा रक्तस्राव नहीं होता। इसलिए मरीज को दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। शुरुआती स्टेज में स्तन कैंसर की पहचान होने पर 50 प्रतिशत मरीजों को कीमो की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने बताया कि मरीज के ठीक होने के पांच वर्ष तक फालोअप किया जाता है क्योंकि कैंसर दोबारा होने का जोखिम रहता है। रोबोटिक मशीन की मदद से सर्जरी ज्यादा बेहतर हो पाती है इसलिए ट्यूमर दोबारा विकसित होने का जोखिम भी कम होता है।