नई दिल्ली। कुछ दिन पहले यात्रा के दौरान ट्रेन लेट होने पर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को नाश्ता नहीं मिला था। इस पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल ने रेलवे प्रबंधक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। अब मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने दखल देते हुए न सिर्फ आपत्ति जताई है, बल्कि सलाह भी दी है।
सीजेआई ने सभी हाईकोर्टों के चीफ जस्टिस को 2 पन्ने की चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि प्रोटोकॉल जजों का विशेषाधिकार नहीं है। प्रोटोकॉल ऐसा होना चाहिए जिससे आम आदमी को परेशानी न हो। जजों को मिली प्रोटोकॉल सुविधाओं को उन्हें (जजों को) अपना विशेषाधिकार नहीं मानना चाहिए। ये उन्हें समाज से अलग करता है।
– कहा, प्रोटोकॉल न्यायाधीशों का विशेषाधिकार नहीं
सीजेआई ने लिखा, प्रोटोकॉल अनुभाग के प्रभारी रजिस्ट्रार द्वारा क्षेत्रीय रेलवे महाप्रबंधक को 14 जुलाई को पत्र भेजने की जानकारी मिली है। ये पत्र हाईकोर्ट के एक जज की इच्छा से भेजा गया है, जो अपनी पत्नी के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कहा, हाईकोर्ट जज के पास रेलवे कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट का कोई अधिकारी रेलवे कर्मियों से स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता। जाहिर है इस मामले में हाईकोर्ट का अधिकारी जज के निर्देश का पालन कर रहा था।
विशेषाधिकार का प्रयोग बुद्धिमानी से होना चाहिए
पत्र में सीजेआई ने कहा, जजों को उपलब्ध कराई गई प्रोटोकॉल सुविधाओं का इस्तेमाल विशेषाधिकार के दावे पर जोर देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह ताकत या अधिकार की अभिव्यक्ति के रूप में सामने आता है। न्यायिक अधिकार का विवेकपूर्ण प्रयोग बेंच के अंदर और बाहर, दोनों जगह न्यायपालिका की विश्वसनीयता और वैधता, समाज के विश्वास को बनाए रखता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी पत्नी के साथ ट्रेन में सफर कर रहे थे। ट्रेन 3 घंटे लेट थी। उन्हें नाश्ता नहीं मिला। उनके बुलाने पर पेंट्री कार और जीआरपी से कोई नहीं आया।
सीजेआई ने लिखा, ‘मैं सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस आग्रह के साथ लिख रहा हूं कि वे इन चिंताओं को सभी सहयोगियों के साथ शेयर करें। न्यायपालिका के भीतर आत्मचिंतन और परामर्श जरूरी है। जजों को उपलब्ध कराई जाने वाली प्रोटोकॉल सुविधाओं का उपयोग इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए जिससे दूसरों को असुविधा हो या न्यायपालिका की सार्वजनिक आलोचना हो।’