ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ओलंपिक पदक के लिए आज सरकार जहां दिल खोलकर पैसा लगा रही है। वहीं, एक समय ऐसा था जब 1936 के बर्लिन ओलंपिक में हॉकी टीम को भेजने के लिए पैसा नहीं था। मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार के मुताबिक उस समय टीम के मेंटर कोलकाता के पंकज गुप्ता ने चंदा जुटाने का अभियान छेड़ा था। बर्लिन में टीम ध्यानचंद की कप्तानी में खेलने जा रही थी और उसे 1932 के स्वर्ण पदक की रक्षा करनी थी। अशोक बताते हैं कि चंदे के जरिये 52 हजार पांच सौ 50 रुपये जुटाए गए। इसकी बैलेंस शीट आज भी उनके पास है। नवाब हैदराबाद, नवाब पटौदी, टाटा, बिरला सभी ने योगदान दिया। टीम बर्लिन गई और हिटलर के सामने जर्मनी को 8-1 से रौंदते हुए स्वर्ण जीता था।