ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। 1.4 अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। पिछले दशक में, विश्व की अर्थव्यवस्था के पटल से भारत तेजी से जुड़ा और साथ ही साथ उसका आर्थिक विकास भी अति तीव्र गति से हुआ। भारत एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर को अयोध्या में कहा कि विकास व विरासत की साझा ताकत 21वीं सदी में भारत को सबसे आगे ले जाएगी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का संकल्प, तेज विकास और विरासत, इन दोनों से ही सशक्त होगा। इसलिए हमें इन साधना के कामों को पूरी तरह बड़ी लगन से और बड़ी श्रद्धापूर्वक करते रहना होगा। इसी कड़ी में आज पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण (नवनिर्मित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह) का इंतजार कर रही है। यहां आज विकास की भव्यता दिख रही है तो कुछ दिन बाद यहां विरासत की भव्यता और दिव्यता भी दिखाई देगी। आज यह निर्विवाद है कि प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों से भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह 2047 तक उच्च मध्य आय के दर्जे तक पहुंचने की आकांक्षा के साथ इस पथ पर अग्रसर है।
पिछले विकास के परिणामस्वरूप भारत ने अत्यधिक गरीबी को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत ने गरीबी सूचकांक में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पिछले 15 सालों में भारत में लगभग 41.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ चुके हैं। हालांकि कुछ चुनौतियां बनी रहती हैं पर अनेक मोर्चों पर भारत ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। रोजगार की स्थिति भी बेहतर हुई है और प्रमुख रोजगार संकेतकों में 2020 के बाद से सुधार आया है। वर्ष 2047 तक उच्च आय दर्जा हासिल करने की भारत की आकांक्षा को जलवायु-लचीली विकास प्रक्रिया के जरिए साकार करने के प्रयास हो रहे हैं ताकि आबादी के निचले आधे हिस्से को व्यापक लाभ प्रदान कराया जा सके। विश्व बैंक हरित, लचीले और समावेशी विकास के जरिए देश और उसके लोगों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए नीतियों, संस्थानों और निवेश को मजबूत करने में मदद करके इस प्रयास को साकार करने में सरकार के साथ साझेदारी कर रहा है।
आर्थिक दृष्टिकोण हुआ बेहतर
कोविड-19 महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में गिरावट के बाद, वित्त वर्ष 2021-22 में उदार मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों और व्यापक वैक्सीन कवरेज से विकास में मजबूती से वापसी हुई। नतीजन भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया।
वित्त वर्ष 22-23 में भारत की वास्तविक जीडीपी अनुमानित 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी। राजकोषीय मजबूती के कारण सरकारी खपत कम होने से घरेलू मांग की संरचना भी बदल गई। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में साल 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था 10वें स्थान पर थी। आज जब देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृतकाल के दौर में प्रवेश कर चुका है, हम ग्लोबल इकोनॉमी में पांचवें स्थान पर हैं। भारत के आगे वाले चार देशों की जीडीपी के आकार पर नजर डालें तो इनमें अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं। दुनिया के सबसे धनवान देश अमेरिका की जीडीपी 25.035 ट्रिलियन डॉलर है। दूसरे स्थान पर चीन है जिसकी जीडीपी 18.321 ट्रिलियन डॉलर है। इसके बाद जापान है जिसका जीडीपी 4.301 ट्रिलियन डॉलर और जर्मनी की जीडीपी 4.031 ट्रिलियन डॉलर पर है। भारत की जीडीपी का साइज आज बढ़कर 3.469 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया है। पीएम मोदी 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाने के लिए हर यत्न करने में जुटे हैं और उन्होंने देश की जनता को यह गारंटी दी है कि उनके तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी में से एक होगा। तथ्यों को देखें तो हमें ये मानना होगा कि देश ने आर्थिक मोर्चे पर काफी शानदार मुकाम हासिल किया है व विकास का चक्क ा निरंतर आगे बढ़ रहा है।