संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमीशन की तर्ज पर नेशनल डेंटल कमीशन तथा नेशनल नर्सिंग एवं मिडवाइफरी कमीशन बनाने संबंधी दो विधेयकों को लोकसभा में पारित किया गया। कानून बनने के लिए इन्हें अभी राज्यसभा में पारित करना होगा। उसके बाद नेशनल डेंटल और नेशनल नर्सिंग काउंसिल और इससे जुड़े 75 साल पुराने कानूनों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
देश में मेडिकल, डेंटल और नर्सिंग चिकित्सा शिक्षा का संचालन तीन अलग-अलग कानूनों के जरिये होता था। केंद्र सरकार ने 2019 में मेडिकल काउंसिल एक्ट को खत्म कर उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन अधिनियम बनाकर चिकित्सा शिक्षा के विनियमन का जिम्मा नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को सौंपा था। अभी इसी दिशा में दंत और नर्सिंग चिकित्सा का भी संचालन करने के लिए नए विधेयक लाए गए हैं।
नेशनल डेंटल कमीशन विधेयक 2023 के प्रावधानों के अनुसार भविष्य में देश में दंत चिकित्सा से जुड़े सभी कार्य नेशनल डेंटल कमीशन द्वारा संचालित किए जाएंगे। कमीशन में एक चेयरमैन, आठ एक्स आफिसियो सदस्य तथा 24 अंशकालिक सदस्य होंगे। यह दंत शिक्षा के टेस्ट के आयोजन, कॉलेजों को मान्यता तथा आचार संहिता आदि से जुड़े सभी कार्यों का संचालन करेगा। राज्यों के साथ समन्वय के लिए एक डेंटल एडवाइजरी काउंसिल भी गठित की जाएगी।