नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, आर्टिकल 370 अस्थायी था। इसे निश्चित समय के लिए लगाया गया था। केंद्र की तरफ से लिए गए हर फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। ऐसा करने से अराजकता फैल जाएगी।
सीजेआई ने कहा कि अगर केंद्र के फैसले से किसी तरह की मुश्किल खड़ी हो रही हो, तभी इसे चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 356 के बाद केंद्र केवल संसद के द्वारा कानून ही बना सकता है, ऐसा कहना सही नहीं होगा।
सीजेआई ने कहा, जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई जिक्र नहीं था। हालांकि, भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा, आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था।
यह विघटन के लिए नहीं था और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है। राष्ट्रपति के पास फैसले लेने का अधिकार है। हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हम चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हैं।
फैसले में 3 जजों के जजमेंट
सीजेआई ने बताया कि फैसले में 3 जजों के जजमेंट हैं। एक फैसला चीफ जस्टिस, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत का है। दूसरा फैसला जस्टिस कौल का है। जस्टिस खन्ना दोनों फैसलों से सहमत हैं। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 खत्म कर दिया था। सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। पांच जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी। 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यानी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के 96 दिन बाद केस पर फैसला सुनाया।
किसने किस पक्ष की तरफ से पैरवी की
सरकार की तरफ से- अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से- कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह और दुष्यंत दवे।
बहस के दौरान चुनिंदा दलीलें
एडवोकेट दुष्यंत दवे (5 सितंबर)- आर्टिकल 370 कभी भी अस्थायी नहीं था। इसे अस्थायी बनाने का एकमात्र कारण संविधान सभा को अधिकार देना था। सरकार ने कई मौकों पर आर्टिकल 370 का इस्तेमाल किया, फिर वो कैसे कह सकते हैं कि 370 अस्थायी था। केंद्र में सरकार बदलने से आर्टिकल 370 अस्थायी हो गया? एडवोकेट राजीव धवन (5 सितंबर)- आर्टिकल 370 एक समझौता है। संविधान में आपको कई समझौते मिलेंगे। उदाहरण के लिए अनुच्छेद 25 को लें, तो सिखों को अपने खंजर ले जाने की अनुमति है। आप उससे छुटकारा पाना चाहते हैं? आपको एक संवैधानिक संशोधन करना होगा। यह एक समझौता है, पूरी छठी अनुसूची एक समझौता है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (28 अगस्त)- जिस आर्टिकल 35ए ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार दिए, उसी ने देश के बाकी लोगों से देश में कहीं भी बसने, जमीन खरीदने और नौकरी करने के अधिकार छीन लिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (24 अगस्त)- जम्मू-कश्मीर इकलौती रियासत थी, जिसका संविधान था और वो भी गलत था। संविधान बनाते समय ‘एक समान स्थिति’ का लक्ष्य था। संघ के एक हिस्से को बाकी सदस्यों को मिले अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (8 अगस्त)- आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। एडवोकेट कपिल सिब्बल (8 अगस्त)- 370 में आप बदलाव नहीं कर सकते, इसे हटाना तो भूल ही जाइए।
एक पूरी पीढ़ी अविश्वास के दौर में बड़ी हुई : जस्टिस कौल
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा, एक पूरी पीढ़ी अविश्वास के दौर में बड़ी हुई है। आर्टिकल 370 का उद्देश्य धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के बराबर लाना था।
370 हटाने से संघवाद खत्म नहीं होगा : जस्टिस खन्ना
जस्टिस खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, अनुच्छेद 370 को हटाने से संघवाद खत्म नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आर्टिकल 370 हटने के बाद गरीबों और वंचितों के अधिकार बहाल हो गए हंल और अलगाववाद व पत्थरबाजी अब अतीत की बातें हो गई हैं। पूरा क्षेत्र अब मधुर संगीत और सांस्कृतिक पर्यटन से गूंजता है। एकता के बंधन मजबूत हुए हैं।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 370 पर दिए गए फैसले का भाजपा स्वागत करती है। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्य विचारधारा में जोड़ने का ऐतिहासिक काम किया है।
पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा- हमें निराश नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी हार नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी फैसले पर नाराजगी जताई। निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं। संघर्ष जारी रहेगा।
गुलाम नबी आजाद ने कहा- ये जजमेंट सुनकर बहुत निराशा हुई। बहुत अफसोस हुआ। मैं शुरु से कह रहा था, इसका फैसला सिर्फ संसद और सुप्रीम कोर्ट कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकजुट व मजबूत भारत का प्रमाण : मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आर्टिकल 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। ये सिर्फ कानूनी फैसला नहीं है। यह आशा की किरण है, उज्जवल भविष्य का वादा है और एक मजबूत व एकजुट भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है।
मैं जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता अटूट है।