ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत देने के लिए कदम उठाएं हैं। इसी क्रम में कंपनियों को खाद्य तेल की कीमतों में कमी करने के निर्देश जारी किए जाने की तैयारी कर ली गई है। उम्मीद है बहुत जल्द ही इसका असर बाजार में देखने को मिल जाएगा। सरकार ने खाद्य तेल बेचने वाली कंपनियों को दाम घटाने के सिलसिले में पत्र भी लिखा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इन कंपनियों को खाद्य तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप लाने को कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल के दाम को अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के सापेक्ष कम किया जाना चाहिए, जो पिछले कुछ समय से नहीं हो रहा हो।
इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम में नरमी दिखाई दे रही है लेकिन घरेलू बाजार में दाम कम नहीं हो रहे हैं। बीते दिसंबर में कुछ कमी आई थी पर इस साल फिर जनवरी में बढ़ोतरी देखी गई है। सरकार लोकसभा चुनाव के मद्देनदर खाद्य तेलों के दाम को लेकर काफी सतर्क है। कहा जा रहा है कि यदि कंपनियों ने इस पर अमल नहीं किया तो सरकार कड़े कदम उठाएगी।
मार्च तक राहत संभव
इस क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि इस समय खाद्य तेल के दाम एकदम से कम करना संभव नहीं हो पाएगा। दाम मार्च आते-आते ही कम हो पाएंगे, जब देश में सरसों की कटाई शुरू होगी। सरसों की कटाई होने के बाद खाने के तेलों की नई सप्लाई आएगी, कीमतों में कटौती की जा सकेगी।
कंपनियां का कहना है
कंपनियां कह रही है कि देश में खाद्य तेल के दाम पिछले काफी समय से स्थिर हैं और हर महीने जो थोड़ा बहुत बदलाव होता है, वो पहले के रेट के रुख के हिसाब से हो रहा है। दिसंबर में कीमतों में करीब 10 फीसदी की ेकमी आई थी और जनवरी में कीमतें फिर से 8 फीसदी तक बढ़ गई हैं। अभी कीमतों में तीन से चार फीसदी की कटौती ही हो पाएगी।
सरकार के कदम
सरकार ने इसी साल जून में क्रूड पाम ऑयल, सनफ्लावर ऑयल और सोयाबीन तेल के आयात शुल्क में पांच फीसदी की कटौती की थी। इन खाद्य तेलों पर 15.5 फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगती थी। इसे घटा कर 12.5 फीसदी कर दिया गया था। यह फैसला मार्च 2024 तक के लिए लागू था, जिसे दिसंबर में बढ़ाकर मार्च 2025 तक कर दिया गया है।