ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के भी चुनाव हैं। ऐसे में सभी दल प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। वाईएसआर कांग्रेस के सामने जहां चुनाव में अपना प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है, तेलुगू देशम पार्टी के लिए करो या मरो की लड़ाई है, वहीं कांग्रेस के लिए खुद को साबित करना आसान नहीं है।
राज्य बंटवारे के दस साल
राज्य के बंटवारे को दस बरस हो चुके हैं। इन दस वर्षों में हुए दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई है। ऐसे में पार्टी के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है। पर खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी की बेटी और मौजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर अपनी जगह बनाने की कोशिश की है। शर्मिला कडप्पा से चुनाव भी लड़ रही हैं और उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई वाईएस अविनाश रेड्डी से है। वह 2014 व 2019 में यहां से जीत चुके हैं।
कल्याणकारी योजनाओं के सहारे वाईएसआर कांग्रेस
2019 में वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा की 22 और विधानसभा की 151 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में सीएम जगन मोहन रेड्डी को भरोसा है उनकी सरकार की योजनाओं की लोकप्रियता उनकी सत्ता बरकरार रखने में भूमिका निभाएगी।
चंद्रबाबू के सामने बेटे नारा लोकेश को स्थापित करने की चुनौती
टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू के लिए यह करो या मरो का चुनाव बन गया है। नायडू के सामने पार्टी को जीत दिलाने के साथ बेटे नारा लोकेश को राजनीति में स्थापित करने की चुनौती है। इसलिए, भाजपा से गठबंधन में लड़ने के साथ कई मुद्दों पर वह भाजपा के खिलाफ जाकर भी चुनावी वादे कर रहे हैं।