महिलाओं में राजनीतिक नेतृत्व तलाशने और राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कई देशों ने बीते कुछ दशकों में जेंडर कोटा प्रारंभ किया। इसके लिए कड़े नियम भी बनाए और सुधार भी लागू किए गए। उठाए गए इन कदमों के सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगे हैं। आज कई देशों में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व व नेतृत्व कर रही हैं। विश्व में छह ऐसे देश हैं जहां पर लाए गए सुधारों की बदौलत महिला सांसदों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। दुनिया में कानूनी तौर पर महिलाओं को संसद में आरक्षण देने वाला पहला देश अर्जेंटीना है जिसने 1991 में कुल प्रत्याशियों में 30 प्रतिशत महिलाएं होना अनिवार्य किया था। 1991 में 5.4 प्रतिशत से बढ़कर इस समय वहां की संसद में 44.75 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं।
इसी क्रम में भारत में भी राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि के लिए नए संसद भवन में विशेष सत्र के दौरान नारी शक्ति वंदन अधिनियम सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। लोकसभा में मौजूद 456 सांसदों में से इसके पक्ष में 454 जबकि विरोध में मात्र 2 सांसदों के वोट पड़े और राज्यसभा में उपस्थित 214 सांसदों ने इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया। महिलाओं को लोकसभा व राज्यों की विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 12 सितंबर 1996 को यह विधेयक पहली बार एचडी देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया था। इसके बाद ही देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई और 11वीं लोकसभा को भंग कर दिया गया। 1996 में पटल पर रखे जाने से लेकर साल 2010 में राज्यसभा से पास होने तक महिला आरक्षण विधेयक कई बार सदन से ठुकराया गया। इसका सिलसिला 12 सितंबर 1996 से शुरू होता है। बिल को पटल पर रखा गया, विरोध के कारण पास नहीं हो सका। इसी तरह 1999, 2003, 2004 और 2009 में बिल के पक्ष में माहौल नहीं बन सका, लिहाजा ये विधेयक पास नहीं हो सका। वर्ष 2006 में बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 का गठन एक ऐतिहासिक कदम था। इस नए अधिनियम से सभी कोटियों में एकल पदों सहित सभी पदों पर महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित किया गया जो पूरे देश में पहला ऐसा कदम था और उसके बाद कई राज्यों ने इसका अनुकरण किया। महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक लाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मातृशक्ति को सम्मानित किया है। इसके पारित होने से नए युग की शुरुआत होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 में महिलाओं के नेतृत्व वाली प्रगति का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था। महिला सशक्तिकरण दूसरे दलों के लिए राजनैतिक मुद्दा होगा लेकिन उनकी पार्टी और पीएम मोदी के लिए यह राजनैतिक नहीं, बल्कि मान्यता का मामला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कानून का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद देते हुए कहा कि जो भावना पैदा हुई है, वह देश के लोगों में एक नया आत्मविश्वास पैदा करेगी और सभी सांसदों और राजनीतिक दलों ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएम मोदी ने राज्यसभा व लोकसभा में हाथ जोड़कर सभी सांसदों का आभार जताया। संसद में अब जबकि नारी शक्ति वंदन बिल पारित हो चुका है, तो महिलाओं ने भिन्न- भिन्न स्थानों पर एकत्र हो कर देश की महिलाओं की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सांसदों के प्रति आभार व्यक्त किया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल कानून बन जाएगा। हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम भी होना अभी बाकी है। वैसे उच्च सदन में विधेयक पारित के बाद दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।जैसा कि कहा जा रहा है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है। जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा। 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी राज्यसभा में कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लागू किया जाएगा। कर्मचारियों के लिए जनगणना का काम आसान नहीं है। इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मापदंडों से संबंधित डेटा एकत्रित करना होता है। परिसीमन आयोग यह तय करेगा कि प्रक्रिया के बाद कौनसी सीट महिलाओं को मिलेगी। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 33 प्रतिशत कोटा के भीतर आरक्षण देने समेत कई संशोधनों को खारिज किए जाने के बाद यह विधेयक पारित किया गया है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल दोनों होगा, जो एससी-एसटी कैटेगिरी पर लागू होगा। देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं लेकिन संसद में सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा। कुल मिलाकर मोदी सरकार का नारी शक्ित वंदन अधिनियम लाना वंदनीय भी और अभिनंदनीय भी।