केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त से चर्चा प्रारंभ हुई थी। घंटों चली बहस का जवाब पीएम मोदी ने 10 अगस्त को दिया। संसद में विपक्ष का केंद्र सरकार के खिलाफ लाया गया यह अविश्वास प्रस्ताव उम्मीद के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद गिर गया। अविश्वास प्रस्ताव पर नेताओं के भाषणों को लेकर सर्वे भी सामने आया। इसके मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव लाने से विपक्ष को नुकसान ही अधिक हुआ है। ज्यादातर लोगों का मत है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सबसे असरदार भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा। उनका यह भी कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने गलती की। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष यह प्रस्ताव मणिपुर मुद्दे पर लाया था। विपक्ष को भी पता था कि संख्या बल के लिहाज से वह लोकसभा में काफी कमजोर है और मोदी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाने से सरकार नहीं गिरेगी।
सर्वे में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर हैरान करने वाले जवाब सामने आए। अविश्वास प्रस्ताव से किसे फायदा हुआ? इस पर विपक्ष के समर्थक क्या सोचते हैं? सर्वे की मानें तो 29.3 फीसदी का जवाब था कि इससे राजग को ही को फायदा हुआ है। सिर्फ 14.8 फीसदी ने माना कि इससे विपक्ष को लाभ मिला। 43.4 फीसदी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सके। अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में किसका भाषण सबसे असरदार था? यह सी वोटर के सर्वे में स्पष्ट हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे अधिक 46 फीसदी वोट मिले। 22 फीसदी लोगों ने कहा कि राहुल गांधी का भाषण सबसे दमदार था। अमित शाह के भाषण को 14 फीसदी लोगों ने पसंद किया। अन्य नेताओं के भाषण को 9 फीसदी वोट मिले। 9 फीसदी लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए।
अविश्वास प्रस्ताव पर नेताओं के भाषणों को लेकर सर्वे भी सामने आया। इसके मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव लाने से विपक्ष को नुकसान ही अधिक हुआ है। ज्यादातर लोगों का मत है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सबसे असरदार भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा।पीएम मोदी अविश्वास प्रस्ताव के उत्तर के माध्यम से देश की जनता को यह भी स्पष्ट संदेश देने में सफल रहे कि विपक्ष सिर्फ सत्ता के लिए एकजुट हुआ है और स्वयं अविश्वास प्रस्ताव ला कर सदन से वॉकआउट कर गया।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देने के लिए जब पीएम मोदी उतरे तो अब तक के संभवत: सबसे लंबे, करीब सवा दो घंटे के भाषण में विपक्ष के अतीत से लेकर वर्तमान और फिर भविष्य तक सब कुछ उन्होंने कवर कर डाला। एओ ह्यूम की कांग्रेस से लेकर नेहरू-इंदिरा काल की गलतियां गिनाने के साथ ही 2024 के चुनाव और 2028 तक के सियासी भविष्य को भी पीएम मोदी ने अपने भाषण में अंकित कर दिया और कहा कि आज हमारी सरकार इस ढंग से काम कर रही है कि अगले 1000 साल तक भारत का जनमानस गर्व करेगा। पीएम ने लोहिया की ओर से लगाए गए पूर्वोत्तर की उपेक्षा के आरोप का भी जिक्र किया तो इंदिरा गांधी की सरकार के समय 5 मार्च 1966 को मिजोरम में वायुसेना के इस्तेमाल का उल्लेख करके भी कांग्रेस को घेरा और इस तरह सिर्फ मणिपुर पर सरकार को घेरने उतरे विपक्ष को पूरे पूर्वोत्तर की तबाही का बीज बोने वाला घोषित कर दिया।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश, नगालैंड, गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में लंबे समय से कांग्रेस के सत्ता में नहीं आ पाने को लेकर भी निशाना साधा और कहा कि जनता ने ‘कांग्रेस-नो कॉन्फिडेंस’ का नारा दे दिया है। पीएम मोदी ने एक प्रकार से आगामी वर्षों तक उनकी सरकार को कैसे काम करना है, इसका पूरा रोडमैप ही सदन के सामने रख डाला। पीएम मोदी ने साथ ही यह भी कहा कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सदैव उनके लिए लाभकारी साबित होता है और उनके तीसरे टर्म में भी विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का एलान करके यह घोषणा कर दी कि 2024 के चुनाव में भी उन्हीं की सरकार आने वाली है।
पीएम मोदी अविश्वास प्रस्ताव के उत्तर के माध्यम से देश की जनता को यह भी स्पष्ट संदेश देने में सफल रहे कि विपक्ष सिर्फ सत्ता के लिए एकजुट हुआ है और स्वयं अविश्वास प्रस्ताव ला कर सदन से वॉकआउट कर गया। यह सिर्फ लोकतांत्रिक परंपराओं का मजाक बनाने के सिवा और कुछ नहीं था।
आज राजनीति के गलियारों में ही नहीं बल्कि आम जनता में भी यह चर्चा है कि सत्तापक्ष या विपक्ष कौन अपना संदेश देने में सफल अथवा विफल रहा। संदेश की लड़ाई में कौन भारी पड़ा? परिणाम पहले से ही साफ था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष को जो मुद्दे उठाने थे, उठाए पर विपक्षी गठबंधन में चर्चा के दौरान रणनीति का सर्वथा अभाव साफ दिखा। हर वक्ता मणिपुर, महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाएं, महंगाई जैसे हर मुद्दे को उठाने की कोशिश करता दिखा और इसकी वजह से प्रभावी तरीके से वैसा संदेश देने में विपक्ष विफल रहा जैसा दिया जाना था। विपक्ष में बिखराव भी साफ दिखा। सत्तापक्ष की ओर से एक वक्ता एक ही मुद्दे पर बोला जिससे परसेप्शन की लड़ाई में सत्तापक्ष खासा प्रभावी नजर आया।
विपक्ष के लिए अविश्वास प्रस्ताव रिस्की दांव था। विपक्ष भी जानता था कि हर कांटे को अपने लिए फूल बनाने में माहिर पीएम मोदी जैसे वक्ता के सामने हो सकता है कि अविश्वास प्रस्ताव का दांव उल्टा पड़ जाए और अंत में हुआ भी ऐसा ही। पीएम मोदी ने इतिहास के पन्ने पलटे और विपक्ष को ही घेर लिया। चर्चा की शुरुआत में गौरव गोगोई ने विपक्ष को जो लीड दिलाई, उसे बनाए रखने में विपक्षी गठबंधन विफल रहा। अंतिम क्षणों में वोटिंग से ठीक पहले लोकसभा से विपक्ष का वॉकआउट कर सीन से गायब हो जाना बड़े सवाल खड़े कर गया। कुल मिलाकर जो स्थिति बनी उस पर कहा जा सकता है कि अविश्वास पर पीएम मोदी और उनकी सरकार का विश्वास भारी पड़ा।