ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार राष्ट्रवाद से जुड़े एक और मुद्दे को लेकर आगे बढ़ने की तैयारी में है। अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकी बदलाव पर उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा है।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में रखा गया है, जब ढाई महीने बाद आम चुनाव होने हैं और जनसंख्या के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ चुका है।
कई राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो से अधिक बच्चे वाले परिवारों के कुछ अधिकार सीमित करते हुए उन्हें कुछ सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का फैसला किया था। अब माना जा रहा है, सरकार ने दोनों मुद्दों (जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकी बदलाव) पर ठोस पहल की तैयारी कर ली है।
वित्त मंत्री ने भी कहा, कमेटी जनसंख्या वृद्धि और जनसांखिकीय बदलाव की चुनौतियों से निपटने के लिए सिफारिशें सरकार को देगी।
पीएम कर चुके हैं इशारा
जनसंख्या नीति के संदर्भ में दूसरे कार्यकाल के पहले ही साल में पीएम मोदी ने लालकिले से जनसंख्या विस्फोट को आने वाली पीढ़ी के लिए चुनौती बताया था। पीएम मोदी ने कहा था, इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कदम उठाने चाहिए।
वर्ष 2021 में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने नई जनसंख्या नीति लाते हुए कहा था कि सरकार वर्तमान परिवार नियोजन नीति के सहारे ही इसे नियंत्रित करना चाहती है।
संघ प्रमुख जता चुके हैं चिंता
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 2022 में विजयादशमी के संबोधन में गंभीर चिंता जताते हुए नई जनसंख्या नीति की जरूरत बताई थी। उन्होंने ईस्ट तिमोर, दक्षिण सूडान व कोसोवो सरीखे देशों का उदाहरण भी दिया था। धर्म के आधार पर जनसंख्या असंतुलन भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए बड़ा मुद्दा रहा है।