ब्लिट्ज ब्यूरो
पेरिस। भारतीय शूटिंग टीम ने इस बार ओलंपिक में इतिहास रच दिया। 30 जुलाई को जिस वक्त मिस्क्ड इवेंट में मनु भाकर और सरबजोत सिंह मेडल की लड़ाई लड़ रहे थे, तब एक चेहरा बार-बार स्क्रीन पर नजर आ रहा था। आखिर कौन थी वो महिला जो हर टाइम आउट के बाद मनु और सरबजोत से बातचीत करती थी, उन्हें समझाती थी। पदक जीतने के बाद सरबजोत ने तो उन्हें मनु के साथ गले लगा लिया था। एक्सपर्ट्स की मानें तो भारतीय निशानेबाजों की इस शानदार उपलब्धियों का बड़ा क्रेडिट इस महिला को जाता है।
कौन हैं वह महिला?
दुनिया के लिए अनजान ये महिला कोई और नहीं बल्कि भारतीय पिस्टल शूटिंग टीम की कोच और दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट मुंखबयार दोरजसुरेन हैं, जिन्हें नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2022 में पहली बार आईएसएसएफ वर्ल्ड कप के लिए भारत का चीफ विदेशी कोच नियुक्त किया था। 55 वर्षीय मुंखबयार दोरजसुरेन खुद एक जबरदस्त शूटर रहीं हैं। दोरजसुरेन इससे पहले राही सरनोबत, समरेश जंग सरीखे शूटर्स को ट्रेन कर चुकी हैं।
मंगोलिया में जन्म
मुंखबयार दोरजसुरेन का जन्म मंगोलिया के उलानबटार में हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने जर्मनी की नागरिकता ले ली। डोरजसुरेन ने छह ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक में भाग लिया है, उन्होंने 1992, 1996 और 2000 खेलों में मंगोलिया का प्रतिनिधित्व किया और 1992 ओलिंपिक में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीता। जर्मन नागरिक बनने के बाद उन्होंने 2004 ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक, 2008 ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक और 2012 ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक में जर्मनी का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने जर्मनी के लिए 25 मीटर पिस्टल में 2002 आईएसएसएफ विश्व शूटिंग चैंपियनशिप जीती। दोरजसुरेन ने 2009 आईएसएसएफ विश्व कप के 25 मीटर पिस्टल वर्ग का भी गोल्ड मेडल जीता था।