डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। कुपोषण कद का दुश्मन बन रहा है। भारत में उम्र के सापेक्ष बच्चों की लंबाई कम है। औसतन हर चौथे बच्चे की लंबाई कम है। वजन भी मानक से कम है। यूपी में 44 प्रतिशत बच्चों पर इसका असर देखा गया है और कई जिलों में तो यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। बिहार व झारखंड में क्रमशः 42.9 व 32 प्रतिशत तो उत्तराखंड में 27 फीसदी बच्चे ‘ग्रोथ फेल्योर’ से पीड़ित हैं।
यूपी बाल विकास विभाग की ओर से जनवरी 2024 में 75 जिलों में संचालित 1.88 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों के छह साल से कम उम्र के 1.89 करोड़ बच्चों की जांच की गई, तो 83.38 लाख बच्चे गंभीर या मध्यम रूप से कम लंबाई के पाए गए।
दिल्ली में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 4.08 लाख बच्चे कुपोषित हैं। उनका वजन सामान्य से भी कम है। हजारों की संख्या में बच्चों की लंबाई भी सामान्य से कम मिली। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर नवंबर 2022 में बॉडी मास इंडेक्स की जांच कराई थी। कुल 1023 स्कूलों में 18 लाख से अधिक बच्चों की जांच की गई।
उत्तराखंड में पांच साल तक के 27 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से नाटे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार वहां पांच साल तक के बच्चों की कुल संख्या 13 लाख 48 हजार है। बिहार में कम लंबाई वाले शून्य से पांच वर्ष के बच्चों की संख्या 48.3 से घटकर 42.9 फीसदी हो गई है। उम्र के हिसाब से लंबाई विटामिन व प्रोटीन युक्त आहार की कमी से प्रभावित होती है।
मां का दूध सर्वोत्तम
कुपोषण की चपेट में आने से 15-20 दिन में ही बच्चे का वजन घटने लगता है। छह महीने तक केवल मां का दूध, इसके बाद पौष्टिक आहार कुपोषण का बचाव है।
– आहार विशेषज्ञ
कम लंबाई वाला हर चौथा बच्चा भारत का
ले वल्स एंड ट्रेंड इन चाइल्ड मालन्यूट्रिशन 2023 संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, डब्ल्यूएचओ और वर्ल्ड बैंक की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का हर चौथा कम लंबाई का बच्चा भारत में है। जहां पांच वर्ष से कम उम्र के 31.7 फीसदी बच्चों की लंबाई उम्र के सापेक्ष कम है। पूरे विश्व में 22.3 फीसदी बच्चे उम्र के लिहाज से ठिगने हैं। भारत में यह आंकड़ा 31.7 फीसदी अर्थात 3.61 करोड़ बच्चे उम्र के सापेक्ष कम लंबाई के हैं। नीदरलैंड के पुरुष और लातवियाई महिलाएं दुनिया में सबसे महिलाएं नाटी होती हैं। अवर वर्ल्ड इन डेटा की रिपोर्ट के लंबे मुताबिक अमेरिका के लोगों की औसत लंबाई 177.10 सेमी है।
– महिलाओं की औसत लंबाई 153 सेमी (विश्व में 153 वें स्थान पर)
आदर्श लंबाई
जन्म पर – 50 सेमी
एक साल में – 75 सेमी
दो साल में – 88 सेमी
चार साल में – 100 सेमी
इसके बाद ः प्रति वर्ष छह-सात सेमी की वृद्धि
सबसे कम लंबाई
मेघालय 46.5 प्रतिशत
बिहार 42.9 प्रतिशत
यूपी 39.7 प्रतिशत