ब्लिट्ज ब्यूरो
लंदन। जो बच्चे सुबह नाश्ता नहीं कर पाते, वो दिनभर बुझे-बुझे से रहते हैं। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नियमित रूप से नाश्ता नहीं करने पर उनके नाखुश होने की संभावना अधिक होती है। ब्रिटेन और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है।
एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिडेड डी लास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 10 से 17 वर्ष की आयु वाले बच्चों पर शोध किया। इसमें पाया कि जब उन्होंने नाश्ता किया तो दिनभर माहौल सकारात्मक बना रहा। वैज्ञानिकों ने करीब डेढ़ लाख बच्चों के डाटा का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि जो बच्चे रोज नाश्ता करते पाए गए, उनमें खुशी और संतुष्टि की भावना उच्चतम रही। वहीं जिन्होंने कभी नाश्ते पर ध्यान नहीं दिया, उनमें खुशी का स्तर कम रहा। विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए कई कारण को जिम्मेदार मानते हैं।
भारत में 24 फीसदी बच्चे नाश्ते से दूर
नाश्ता करने के मामले में भारतीय स्कूली बच्चे भी कमजोर हैं। पिछले दिनों केलॉग्स इंडिया की ओर से भारतीयों के नाश्ते की आदतों पर रिपोर्ट जारी की गई। इसमें कहा गया कि तीन में से एक स्कूली छात्र प्रतिदिन अपना नाश्ता छोड़ देता है। वहीं 12 साल से कम उम्र वाले 24 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो बिना नाश्ते के रहते हैं। यानी उन्हें नाश्ते की जगह सीधे लंच करना पसंद है। चार भारतीय शहरों पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया कि 18 फीसदी लड़कियां और चार फीसदी छात्र नाश्ते पर ध्यान नहीं देते।
क्या है देश में बच्चों और युवाओं का प्रतिशत
1-12 13-15 16-17 18 प्लस
24% 32% 31% 24%