डॉ. शेखर
लंदन। ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स III और क्वीन कैमिला की ताजपोशी हो गई है। 6 मई को लंदन के वेस्टमिंस्टर ऐबे चर्च में 80 मिनट तक राजा-रानी की ताजपोशी से जुड़ी रस्में चलीं। इसके बाद आर्चबिशप ने किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला को ताज पहनाए। किंग चार्ल्स ने 1661 में बना सेंट एडवर्ड का ताज पहना, तो क्वीन ने जो ताज पहना उसमें कोहिनूर हीरा नहीं जड़ा हुआ था। ताजपोशी पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च हुए।
ब्रिटिश शाही परिवार में 70 साल बाद ताजपोशी हुई है। इससे पहले 1953 में किंग चार्ल्स की मां यानी महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी हुई थी। उस समय चार्ल्स की उम्र केवल 4 साल थी। अब किंग चार्ल्स 74 साल के हो चुके हैं। करीब 6 महीने पहले क्वीन एलिजाबेथ का निधन होने के बाद उनके बड़े बेटे चार्ल्स को राजा घोषित कर दिया गया था, लेकिन उनकी ताजपोशी अब हुई है।
आर्चबिशप ने चार्ल्स का परिचय कराया
सबसे पहले चार्ल्स को बतौर किंग लोगों के सामने पेश किया गया। इस दौरान वे सिंहासन के सामने ऐबे की तरफ मुंह करके खड़े हुए। आर्चबिशप ने उनके राजा बनने की घोषणा की, इसके बाद चार्ल्स ने ईसाईयों की पवित्र किताब पर हाथ रखकर शपथ ली। शपथ के दौरान उन्होंने कहा, मैं राज करने नहीं, सेवा करने के लिए आया हूं। ताजपोशी में शामिल लोगों ने ‘गॉड सेव द किंग’ गाया। आर्चबिशप ने वहां मौजूद सभी धर्म के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि इंग्लैंड का चर्च एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देता है जिसमें सारे धर्म के लोगों को बराबर सम्मान मिलता है। चार्ल्स ने हमेशा कानून का पालन करने और एक वफादार प्रोटेस्टेंट रहने की शपथ ली। तब आर्चबिशप ने किंग का मौजूद लोगों को परिचय दिया।
– क्वीन ने कोहिनूर जड़ा मुकुट नहीं पहना
– ताजपोशी पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी रॉयल प्रोसेशन में शामिल रहे। प्रधानमंत्री के तौर पर ऋषि सुनक ने किंग की शपथ के बाद बाइबल के चैप्टर का अंश पढ़ा। इस दौरान राज परिवार के लोग लगातार पारंपरिक गीत गाते रहे।

किंग चार्ल्स की ताजपोशी के दूसरे दिन कॉन्सर्ट का आयोजन हुआ। इसमें 20 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। अभिनेत्री सोनम कपूर ने वर्चुअली होने वाले कॉमनवेल्थ देशों की परफॉर्मेंस को इंट्रोड्यूस किया। सोनम स्पेशल गाउन में प्रोग्राम में आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।

लंदन। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि भारत में किसी भी लोकतांत्रिक मूल्य में कोई कटौती नहीं हुई है और यह पहले की अपेक्षा कहीं अधिक फल-फूल रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में रह रहे भारतीय छात्रों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने देश के बारे में गलत विमर्श का विरोध करें। उपराष्ट्रपति ने यहां वेस्टमिंस्टर एबे में ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय के ऐतिहासिक राज्याभिषेक समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
धनखड़ ने भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के छात्रों से बातचीत की।