विनोद शील
नई दिल्ली। 2024-25 का बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल (मोदी 3.0) का पहला बड़ा आर्थिक दस्तावेज होगा। इस बजट में अन्य बातों के अलावा, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रोडमैप भी छिपा है। ज्ञात हो कि पिछले महीने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी संकेत दिया था कि सरकार सुधारों की गति को तेज करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य की दृष्टि का एक प्रभावी दस्तावेज है। बजट 2024 से सभी सेक्टरों को विशेष उम्मीदें हैं। इस बार बजट में सरकार का फोकस रोजगार सृजन पर ज्यादा रहने की संभावना है। स्वयं प्रधानमंत्री ने भी रोजगार पैदा करने के साथ-साथ विकसित भारत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
अनेक विशेषज्ञों ने सरकार से आम आदमी को टैक्स में राहत देने की बात कही है ताकि लोग ज्यादा खर्च कर सकें। कई शीर्ष अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों की पीएम मोदी के साथ विगत दिनों बैठक हुई थी। इस बैठक में इन सभी ने प्रधानमंत्री को बजट के संबंध में अपने विचारों से अवगत कराया था। बैठक में मंथन के दौरान विकसित भारत, पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) और रोजगार पैदा करने जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा हुई थी। साथ ही महंगाई को कम करने और अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ाने के कदमों पर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस बैठक में मौजूद रही थीं।
देश के युवा, किसान और नौकरीपेशा लोगों को भी इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बड़ी राहत की आस है कि उनके लिए भी कुछ न कुछ जरूर होगा। इस बार बजट में सरकार का हर तबके पर फोकस है। रियल एस्टेट सेक्टर को भी अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की सपोर्ट की चाहत है। यहां यह भी बताते चलें कि 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.2 प्रतिशत रही थी। लोकसभा चुनावों के चलते, सीतारमण फरवरी में पहले ही 2024-25 के लिए एक अंतरिम बजट पेश कर चुकी हैं। 23 जुलाई को मोदी के तीसरे कार्यकाल में एक और रिकॉर्ड भी दर्ज होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 7 बार बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बनेंगी।
पीएम के साथ बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन भी उपस्थित थे। विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों में सुरजीत भल्ला, ए के भट्टाचार्य, प्रोफेसर अशोक गुलाटी, गौरव बल्लभ, अमिता बत्रा, महेन्द्र देव और के वी कामथ आदि शामिल थे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करने वाली हैं। अर्थशास्त्रियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अलावा, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और अन्य सदस्यों ने भी प्रधानमंत्री की बैठक में भाग लिया। जनता को बजट से इसलिए भी बेहतर की उम्मीद है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ तरीके से पटरी पर दौड़ रही है। अभी अपनी ताजातरीन रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत का आर्थिक वृद्धि दर अनुमान बढ़ा दिया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। मोदी राज में भारत पर दुनिया का भरोसा और मजबूत हुआ है। आईएमएफ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज बनी रहेगी। इसके साथ ही अपने ताजा इकोनॉमिक आउटलुक में आईएमएफ ने भारत के विकास के अपने पुराने अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। अनुमानों में वृद्धि का कारण एशिया में मजबूत आर्थिक गतिविधियों को बताया गया है। आईएमएफ के अपडेट में घरेलू मांग में मजबूती और ग्रामीण क्षेत्रों में निजी खपत के लिए बेहतर संभावनाओं की बात कही गई है। आईएमएफ की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत और चीन में वृद्धि 2024 में वैश्विक वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा होने का अनुमान लगाया गया है। अपडेट के अनुसार 2023 में भारत की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही। 2024 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमानों में वृद्धि करते हुए इसे 7 कर दिया गया है। 2025 में भारत के लिए वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत रखा गया है।
– आईएमएफ और एडीबी ने भारत के विकास के अपने पुराने अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत किया
– बजट से सबको लाभ पर पीएम मोदी व वित्तमंत्री सीतारमण का ध्यान
भारत की तेज रफ्तार का हर कोई कायल है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद अब एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार की सराहना की है। सभी संस्थाओं और रेटिंग एजेंसियों का एक ही दावा है कि भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज है। न सिर्फ चालू वित्तवर्ष में बल्कि अगले वित्तवर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से आगे बढ़ेगी। इसके साथ ही एडीबी ने विकास दर का अनुमान भी बता दिया है। एडीबी ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
कड़े कदमों और राहत के बीच होगा तालमेल
बजट से उम्मीद पर आर्थिक मामलों के जानकार वेद जैन का कहना है कि चुनाव के बाद के बजट से उम्मीद बहुत होती है क्योंकि चुनाव के बाद जो पहला बजट आता है, जिन चीजों का जिक्र मेनिफेस्टो में होता है या फिर जो भाषण दिए गए होते हैं उन्हें पूरा करने की बजट में पूरी-पूरी कोशिश की जाती है। क्योंकि चुनाव हो चुके हैं और 5 साल के लिए सरकार आई है तो सरकार की यह भी कोशिश होगी कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और देश की जनता में कुल मिला कर दीर्घकालिक खुशहाली लाने के लिए जो भी कदम उठाने होंगे वह उठाए जाएंगे। वेद जैन के अनुसार एक तरफ चुनाव के वादों का प्रेशर है तो दूसरी तरफ सरकार के सामने राहत इस बात की है कि 5 साल के बाद चुनाव आएंगे। इसलिए कुछ कड़े कदमों और राहत के बीच तालमेल बनाने की कोशिश की जाएगी।
युवाओं व महिलाओं को है ये अपेक्षा
युवाओं को बजट से काफी अपेक्षाएं हैं। एक युवा ने कहा कि सरकार ने इस साल शिक्षा के लिए 1,13,000 करोड़ रुपये की राशि अलॉट की है लेकिन मेरा मत है कि इतना पैसा शिक्षा के क्षेत्र में नहीं जाता है। सरकार को क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर फोकस करना चाहिए। एक अन्य छात्र ने कहा कि शिक्षा की हर जगह बड़ी भूमिका होती है इसलिए फीस उचित होनी चाहिए। वहीं एक अन्य युवा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के लिए सरकार बहुत कुछ कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुफ्त में चीजें देना अच्छा नहीं है।
महिलाओं की बात करें तो एक महिला ने कहा कि जिन लोगों का एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन है उन्हें लोन की सुविधा फास्ट ट्रैक के आधार पर दी जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार जो भी योजना शुरू करे, उसे व्यवस्थित और जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाए। साथ ही उन्होंने डेयरी प्रोडक्ट्स और पैकेज्ड फूड्स पर जीएसटी कम करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि पीएम सूर्यघर योजना सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही है। जो सुविधाएं हैं उनका लाभ तुरंत मिलना चाहिए।
मजबूत अर्थव्यवस्था मेहनती लोगों की बदौलत
2023-24 के लिए चौथी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े हमारी अर्थव्यवस्था में मजबूत गति को दर्शाते हैं, जो आगे और भी तेज होने वाली है। हमारे देश के मेहनती लोगों की बदौलत, वर्ष 2023-24 के लिए 8.2% की वृद्धि इस बात का उदाहरण है कि भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जैसा कि मैंने कहा, यह आने वाली चीजों का सिर्फ एक ट्रेलर है।