ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। तीनों सेनाओं की थिएटर कमान में कमांडर-इन-चीफ व ऑफिसर-इन-कमांड को शक्ति देने वाला विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। संसदीय पैनल ने विधेयक को बिना किसी संशोधन के पारित करने की सिफारिश की थी। विधेयक पेश करते हुए राजनाथ सिंह ने बताया, अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण व अनुशासन) विधेयक सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए सरकार के उठाए जा रहे कदमों की श्रृंखला का एक हिस्सा है।
अब तक सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों को विशिष्ट सेवा अधिनियमों-सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 और वायुसेना अधिनियम, 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार शासित किया जाता है। जब ये अधिनियम बने थे, तब अधिकांश सेवा संगठनों में बड़े पैमाने पर एक ही सेवा के कर्मी शामिल थे।
हालांकि, अब ऐसे कई अंतर-सेवा संगठन हैं, जहां ये कर्मी एक साथ काम करते हैं। वर्तमान में, अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। सिर्फ संबंधित सेवाओं के अधिकारियों को ही अपने संबंधित सेवा अधिनियमों के तहत सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार है।
राजनाथ सिंह ने कहा, इन संगठनों में सेवारत अधिकारियों को किसी भी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई के लिए उनकी संबंधित मूल सेवा इकाइयों में वापस भेजा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप देरी होती है। ऐसे में सरकार का नया बिल अगर कानून बना तो इस देरी को खत्म करेगा।