वर्ष 2047 के भारत को विकसित भारत बनाने का मंत्र पीएम मोदी ने लालकिले के प्राचीर से दिया था। उन्होंने पांच प्रण और त्रिशक्ति का जिक्र करते हुए एकता और एकजुटता का संदेश दिया। अपनी विरासत पर गर्व करने का संदेश दिया। अगले 25 साल को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने पर जोर दिया।
देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित प्रगति मैदान के नवनिर्मित सम्मेलन कक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में विगत दिवस मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से अगले नौ महीनों में लोगों को केंद्र सरकार के कार्यों के बारे में जानकारी देने के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा। उल्लेखनीय है कि सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भी इसी सम्मेलन कक्ष में किया जाना है। बैठक में 2047 तक बुनियादी ढांचे से लेकर बजट के आकार तक कई क्षेत्रों में भारत की संभावित विकास यात्रा पर एक प्रस्तुति भी दी गई। साल 2047 वह वर्ष है जब भारत अपनी स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएगा।
पीएम मोदी ने 2023 से 2047 तक के सफर को देश के लिए ‘अमृत काल’ की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने वक्तव्यों में वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए इस संदर्भ में देश के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना भी करते हैं और देशवासियों को नए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्प्रेरित भी करते हैं। इस बैठक को इस बात के लिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें आगामी वर्षों में देश के विकास का खाका भी खींचने के लिए गहन विचार मंथन किए जाने की जानकारी मिली है। विदेश और रक्षा समेत विभिन्न मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई सचिवों ने बैठक के दौरान अपने विचार भी रखे जिसमें पीएम मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा को भी अभूतपूर्व सफलता के लिए रेखांकित किया गया। करीब साढ़े चार घंटे तक चली बैठक में उनकी मिस्र यात्रा पर भी प्रकाश डाला गया। इस बात पर भी चर्चा होने की जानकारी मिली है कि बजटीय आवंटन को सही तरीके से कैसे लागू किया जाए। इस बैठक में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, परिवहन और राजमार्ग मंत्री, रेल मंत्री और वित्त मंत्री के साथ ही सरकार के अन्य मंत्री भी शामिल हुए थे।
दरअसल ‘नया और आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लिए सिर्फ केंद्र और राज्य सरकारों को ही प्राणप्रण से नहीं जुटना होगा बल्कि देश की जनता और युवा शक्ति को भी इसमें अपना संपूर्ण योगदान देना होगा। आज भारत वह देश है जिसके पास सर्वाधिक युवा शक्ति है। भारत को इस शक्ति पर गर्व भी है और इसका सहयोग ही देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। इसी के दृष्टिगत संभवत: गत वर्ष 15 अगस्त को आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पांच प्रण और त्रिशक्ति का जिक्र किया था। तब पीएम मोदी स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने के वर्ष की रूपरेखा खींचते नजर आए थे। वर्ष 2047 के भारत को विकसित भारत बनाने का मंत्र पीएम मोदी ने लालकिले के प्राचीर से दिया था। उन्होंने तब एकता और एकजुटता का संदेश दिया था। अपनी विरासत पर गर्व करने का संदेश दिया था। अगले 25 साल को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने पर जोर दिया। पांच प्रण का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश अब बड़े संकल्प को लेकर चल रहा है। हमें विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चलना होगा। विकसित भारत के लिए पीएम मोदी ने पहले प्रण का जिक्र करते हुए कहा कि हमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर हम सबको मिलकर काम करना होगा। विकसित भारत हमारा पहला संकल्प है। यह बड़ा संकल्प है, लेकिन इससे कम हमें मंजूर भी नहीं है। विकसित भारत के लिए दूसरा प्रण यह बताया कि हमें गुलामी के अहसास को हर हाल में भुलाना होगा। हमारी आदतों में गुलामी का कोई अंश है तो उसे निकालना होगा। हमें अपनी विरासत पर सदैव गर्व होना चाहिए। हमारी विरासत परिवार रही है। हमारी सांस्कृतिक विरासत दुनिया को रास्ता दिखाती है और इस तीसरे प्रण को हमारा चौथा प्रण यानी हमारी एकता और एकजुटता शक्ति प्रदान करेगी। एकता में बड़ी शक्ति है। एकजुटता हमें किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना करने की ताकत देती है। अगर 140 करोड़ भारतीय एकजुट हो जाएं तो विकास की रफ्तार को तेज करने से कोई नहीं रोक सकता। पांचवां प्रण भी इसके साथ ही जुड़ा है जो देश के प्रति हमें हमारे कर्तव्यों का बोध भी कराता है। नागरिकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। नागरिकों का देश के लिए कर्तव्य परायण होना जरूरी है। कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिक ही देश को प्रगति की राह पर ले जाने में कामयाब होते हैं। इसीलिए उपरोक्त गुणों से युक्त हो कर हम 140 करोड़ देशवासियों को ‘टीम इंडिया’ बनाकर चलना होगा ताकि देश में विकास की गति को बढ़ाने के लिए यह एक शक्तिशाली इंजन साबित हो।
हमें साथ ही यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ‘नया और आत्मनिर्भर भारत’ बनाने में प्रौद्योगिकी की विशेष भूमिका होगी। इसके इस्तेमाल से भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने में खासी मदद मिलेगी। भारत आज अपने दृढ़ इरादों के साथ कोविड महामारी की विभीषिका से बाहर निकल आया है। महंगाई के बावजूद हमारी आर्थिक विकास की दर भी कायम है और दुनिया की निगाहें भारत की ओर टिकी हैं। भारत को 2047 तक हमें उन्नत राष्ट्र बनाना है। यह संकल्प बड़ा है तो इस संकल्प और कर्तव्य के प्रति हमें बड़ा समर्पण भी दिखाना होगा।