ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत अपने आप में अनोखा देश है। इसकी जलवायु, खान-पान, वेशभूषा, भाषाएं, त्योहार – सभी में विविधता के दर्शन होते हैं। परमात्मा की प्राप्ति हेतु भी हम उदारतापूर्वक विविध मार्गों को स्वीकार करते हैं। इसीलिए यह भूमि विभिन्न संप्रदायों की जन्मदात्री है। इन सभी में सौहार्द प्रस्थापित करने वाला विविधता में एकता का यह सूत्र भी यहीं साकार हुआ।
भारत और इसके संस्कारों में रची-बसी भारत-भारती के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता विनय पत्राले ने अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि भाषाएं भिन्न हैं पर भाव एक है। खान पान भिन्न है पर अन्न ब्रम्ह एक है। त्योहार अलग-अलग हैं, मगर संस्कृति एक है, संप्रदाय विविध हैं, पर ईश्वर एक है। प्रांत अलग-अलग हैं, फिर भी देश एक है।
पत्रवाल ने बताया कि नौकरी, पढ़ाई, उद्योग-व्यवसाय हेतु लोग अपना स्थान छोड़कर अन्य प्रांतों में बस जाते हैं। अपनी विशिष्टताओं को संजोकर रखते हुए भी धीरे-धीरे वहां के वातावरण में घुल-मिल जाते है। देश का प्रत्येक शहर आज भारत का ही लघु स्वरूप बन गया है। एक शहर में रहनेवाले विभिन्न भाषा-भाषी बंधुओं में स्नेहबंध विकसित हो, मैत्री भाव जागृत हो इसलिए भारत-भारती की स्थापना हुई है।
उनके अनुसार गुलाब, चंपा, चमेली फूल हैं अनेक किंतु माला फिर एक है। इसी उद्देश्य को लेकर भारत-भारती कार्य कर रही है।
विनय पत्राले ने कहा, जाति-पंथ-प्रांत भाषा की विशिष्टताओं को संजोकर – एक-दूसरे से समन्वय रखते हुए विविध पुष्पों से भरे सुंदर उपवन की तरह भारतीय समाज सजा रहे। विविध उत्सव, त्यौहार, नृत्य, कला, परंपराएं आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होने वाले संस्कृति के इस पुण्य प्रवाह की अनुभूति सभी नागरिक करें। उनके अनुसार हिमालय की तरह ऊंचा और सागर की तरह गहरा यहां का समृध्द जीवन समूचे विश्व के लिए प्रेरणादायी सिध्द हो।
उन्होंने अपेक्षा की है कि एक ही शहर में रहने वाले विविध प्रांतों के विभिन्न समाज एकत्रित होकर लघु भारत की संकल्पना साकार करें। आपसी सामंजस्य के उजाले से संकुचित प्रादेशिकता का कुहासा दूर हो। जन-जन एक दूसरे से जुड़े जन-जन देश की मिट्टी के साथ जुड़े जन-जन में भारत-भक्ति भाव जागृत हो।
उन्होंने बताया कि इन तमाम प्रयोजनों की सार्थकता और सिद्धि के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान उद्यम-रत्न सम्मान समारोह आयोजित हुए। भारत के विभिन्न राज्यों के रंगारंग सांस्कृतिक ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रमों पर कॉफी टेबल बुक का विमोचन ‘राष्ट्रीय एकात्मता’ पर संगोष्ठी का दिल्ली के डाॅ. अंबेडकर ऑडिटोरियम में आयोजन हुआ।
विनय पत्राले ने कहा, भारत भारती राष्ट्रीय एकात्मता को समर्पित है। दिल्ली हमारी, लघु भारत की फुलवारी है।
अपने भारत देश का हर विकसित एवं विकासशील शहर भारत का ही लघु स्वरुप है। इस लघु भारत को उजागर करना, अनुभूत करना एवं आत्मसात करना- यही ‘भारत-भारती’ है। यही ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ है।