नीलोत्पल आचार्य
लखनऊ। राज्य में सबसे बड़ी साइबर धोखाधड़ी में से एक को रोकते हुए साइबर सेल और यूपी पुलिस की एक संयुक्त टीम ने एक गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने शहर स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के बैंक खाते से 120 करोड़ रुपये की हेराफेरी की थी।
खुद को एकेटीयू का अधिकारी बताया
पुलिस के अनुसार, खुद को एकेटीयू का अधिकारी बताकर जालसाजों ने पहले एक राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में विश्वविद्यालय के नाम पर खाता खोला, जहां विश्वविद्यालय का पहले से ही खाता था।
धर्मार्थ ट्रस्ट के खाते में राशि स्थानांतरित
इसके बाद, उन्होंने बैंक अधिकारियों को नए खाते में पांच किस्तों में 120 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने का झांसा दिया और वहां से धन को गुजरात स्थित एक अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक में धर्मार्थ ट्रस्ट के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया।
ऑडिट किया तो धोखाधड़ी का पता चला
इस लेन-देन ने बैंक अधिकारियों के मन में संदेह पैदा किया जिन्होंने ऑडिट किया और धोखाधड़ी का पता लगाया। अधिकारियों ने तब पुलिस को सूचित किया, जिसने अपराध में कथित रूप से शामिल सात लोगों को गिरफ्तार किया।
बैंक के शाखा प्रबंधक से आवश्यक पत्र प्राप्त किया
पुलिस का कहना है कि गिरोह ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के शाखा प्रबंधक, अनुज कुमार सक्सेना से धन हस्तांतरण के लिए आवश्यक एक पत्र प्राप्त किया था और दूसरा बैंक खाता खोलने के लिए एकेटीयू के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का नाम लिया था। इसके बाद उन्होंने चेक बुक खरीदी और गुजरात स्थित कंपनी के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए। गिरफ्तार लोगों की पहचान गुजरात के देवेंद्र प्रसाद प्रभाशंकर जोशी और उदय पटेल, उन्नाव के राजेश बाबू, लखनऊ के गिरीश चंद्र और शैलेश कुमार रघुवंशी, अमेठी के दस्तगीर आलम और बस्ती जिले के कृष्णकांत के रूप में हुई है।
बैंक की ईमेल-आईडी प्राप्त की
डीसीपी पूर्वी प्रबल प्रताप सिंह ने कहा कि बदमाशों ने बैंक के शाखा प्रबंधक से संपर्क करके बैंक की ईमेल-आईडी प्राप्त की, जो छुट्टी पर थे।
पैसा ट्रांसफर करने के लिए फर्जी पत्र भेजा बदमाशों ने जानकीपुरम शाखा, जिसमें एकेटीयू का बैंक खाता है, को विधानसभा मार्ग शाखा में एकेटीयू के एफडी खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए फर्जी पत्र भेजा। बदमाशों ने एकेटीयू के नाम से फर्जी एफडी खाता खुलवाया था। इसके बाद उन्होंने एक कंपनी के खाते में पैसे ट्रांसफर किए और लगभग 1 करोड़ रुपये निकाल लिए।
बैंक प्रबंधक ने बताया
बैंक प्रबंधक अनुज कुमार सक्सेना ने 12 जून को अपनी शिकायत में कहा था कि तीन जून को मनाली में बाहर निकलने के दौरान उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने अपना परिचय डॉ शैलेश कुमार रघुवंशी के रूप में दिया, जिसने उनसे अपना विजिटिंग कार्ड साझा करने के लिए कहा, क्योंकि उन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट करने की जरूरत थी। सक्सेना ने कहा कि उन्होंने रघुवंशी को बैंक भेजा और बैंक के एक अधिकारी से उनका मामला उठाने को कहा।
रुपये हस्तांतरित करवाए
अगले दिन, मुझे जय सिंह उर्फ एनके सिंह का फोन आया, जिन्होंने खुद को एकेटीयू के वित्त अधिकारी के रूप में पेश किया, बैंक में एफडी दर पूछी। अगले दिन उन्हें 49 करोड़ रुपये, फिर 49 करोड़ रुपये और उसके बाद 22 करोड़ रुपये जानकीपुरम ब्रांच से विधानसभा मार्ग ब्रांच में ट्रांसफर करवाए। उन्होंने कहा कि बैंक को मामले में गड़बड़ी का आभास हुआ और उसने गुजरात के उस बैंक से भुगतान रोकने का अनुरोध किया, जिसमें ट्रस्ट का खाता है। इसके बाद तो एक-एक करके घोटाले की परतें उधड़ती गईं और इस तरह त्वरित कार्रवाई के चलते बैंकरों ने 120 करोड़ की साइबर ठगी को रोकने में सफलता हासिल की।