रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई… राजा श्रीराम के सूर्यवंश की यही प्रथा थी जिसका उन्होंने सदा पालन किया। आज भी इस प्रथा पर अयोध्या से 15 किमी दूर स्थित सरायराशी गांव के सूर्यवंशी क्षत्रिय कायम हैं। यहां के सूर्यवंशी क्षत्रियों ने 500 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर पुन: नहीं बन जाता तब तक उनकी पीढ़ियांं न छत्र लगाएंगी, न ही सिर पर पगड़ी बांधेंगी और न ही पैर में चमड़े का जूता धारण करेंगी। आज भी उनकी पीढ़ियांं इस पर कायम हैं और उनका यह संकल्प अब राम की नगरी अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर बनने के बाद पूरा हो जाएगा जो सैकड़ों साल की कानूनी लड़ाई लड़ने और उसे जीतने के बाद संभव हो पा रहा है।
त्रेता में तो वस्तुत: भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के दौरान लंका में रावण को परास्त करने के बाद अयोध्या लौट आए थे पर कलयुग में उन्हें अपने मूल स्थान पर विराजने में 500 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। वैसे तो राम जन्मभूमि आंदोलन में हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुतियां दीं लेकिन इस संघर्ष में भगवान राम के वंशज माने जाने वाले सरायराशी गांव के सूर्यवंशियों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर को बचाने के लिए मुगलों के साथ निरंतर लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी।
सूर्यवंशी क्षत्रियों ने यह भी घोषणा की थी कि वह भगवान राम के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साथ ही साफा बांधकर रामलला का दर्शन करेंगे और अब उनके इस संकल्प के पूर्ण होने का समय भी नजदीक आ रहा है।
श्रीराम का 500 वर्षों का यह वनवास आगामी 22 जनवरी 2024 को पूरी तरह तब समाप्त हो जाएगा जब अयोध्या के भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला के बालस्वरूप की मूर्ति की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। विद्वानों द्वारा अलग-अलग ग्रंथों में श्रीराम के बाल स्वरूप की विवेचना के आधार पर रामलला की मूर्ति बनाने का कार्य शुरू हो चुका है।
भगवान श्रीराम की प्रतिमा बनाने के लिए देश के प्रसिद्ध मूर्तिकारों को उनकी टीम सहित अयोध्या बुलाया गया । इनमें कर्नाटक के शिल्पकार गणेश एल भट्ट, राजस्थान के शिल्पकार सत्यनारायण पांडेय, पद्मविभूषण सुदर्शन साहू और मैसुरू के अरुण योगीराज शमिल हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप (5 वर्ष) की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
कई सौ वर्ष के संघर्ष के बाद अब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का दिव्य और भव्य मंदिर आकार ले रहा है। अयोध्या मंस श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा व्यवस्था कार्यालय की स्थापना के साथ ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जमीनी तैयारी शुरू हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए भूतल के सारे निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं।
मंदिर की मासिक सहयोग राशि भी करीब 2 करोड़ पहुंचने का अनुमान है। मंदिर ट्रस्ट ने श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए भव्य तैयारियां की हैं। देश और विदेश से लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है।
25 हजार लोगों के टिकट से लेकर उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जा रही है। देश भर के कई गांवों से 5-5 लोगों को बुलाए जाने की भी तैयारी है। टीवी पर अयोध्या का लाइव प्रसारण भी कराया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में स्थापित रामलला की सुंदर फोटो खींची जाएगी। इसे लाखों की संख्या में छपवा कर श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ वितरित किया जाएगा। इस तरह रामलला की फोटो 10 करोड़ घरों तक पहुंचाने का कार्यक्रम भी बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। राम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या की तस्वीर ही नहीं, बल्कि तकदीर भी बदलने लगी। पूर्ववर्ती सरकारों में उपेक्षित रहने वाली अयोध्या नगरी में बीजेपी की सरकार आने के बाद विकास की गंगा बह रही है।
अयोध्या के कायाकल्प की नींव उस दिन पड़ी जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को यहां राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। लंबे अरसे से चले आ रहे मंदिर-मस्जिद के विवाद के चलते 5 सदी से अयोध्या में पर्यटक और श्रद्धालु आने से कतराते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जब सुप्रीम फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया और 5 अगस्त 2020 को देश के प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया तो उस दिन से अयोध्या निरंतर प्रगति की ऊंचाई पर खड़ी नजर आने लगी। इन 3 वर्षों में एक तरफ जहां कई गुना राम भक्तों की संख्या बढ़ी तो अयोध्या के विकास में लगभग 34 हजार करोड़ की परियोजनाएं भी परवान चढ़ने लगीं।
अयोध्या में एक तरफ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एयरपोर्ट का 80 फीसदी से अधिक का निर्माण का काम पूरा हो गया है तो वहीं 1450 एकड़ में फैले नव्य अयोध्या का निर्माण भी तीव्र गति के साथ शुरू किया गया है। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का निर्माण लगभग पूरा हो रहा है।
इसके अलावा बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए राम नगरी में 5 स्थानों पर मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण भी पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बस स्टेशन भी बनकर तैयार है। इतना ही नहीं अधिकांश योजनाएं भगवान राम के भव्य मंदिर में विराजमान होने से पहले पूरी हो जाएंगी। श्रद्धालु हवाई, सड़क और रेल मार्ग से आसानी से अयोध्या पहुंचें, इसके लिए सभी आधारभूत कार्यों को दिसंबर 2023 में पूरा कर लिए जाने के हिसाब से तीव्रतम गति से कार्य जारी है।