एके शर्मा
नई दिल्ली। भारतीय न्याय व्यवस्था में तीन नए कानून देने के बाद केंद्र सरकार नए साल में एक और नया कानून नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लाने जा रही है। संसद ने इस कानून पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। वैसे सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने व क्रियान्वित करने की समय सीमा को पहले ही 8 बार आगे बढ़ा चुकी है। अब यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने 2024 में अपने पहले बड़े कदम के रूप में सीएए को लागू करने का मन करीब-करीब बना लिया है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएए के नियम-कायदों को जल्द से जल्द अधिसूचित किए जाने के बारे में विचार किया जा रहा है। हो सकता है कि यह यह काम गणतंत्र दिवस से पूर्व ही हो जाए। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गृह मंत्रालय पहले से काफी सकि्रय रहा है। अब ताजा घटनाक्रम में ऐसा कहा जा रहा है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के नियमों को लोकसभा चुनाव की घोषणा से ‘काफी पहले’ ही अधिसूचित कर दिया जा सकता है। केंद्र सरकार का यह फैसला जहां बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए उम्मीद लेकर आएगा; वहीं पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हिंदू-सिख शरणार्थियों को भी बड़ी राहत पहुंचाएगा। आंकड़ों के अनुसार 2014 तक पाकिस्तान-अफगानिस्तान से 32 हजार लोग भारत आए हैं। सीएए लागू होने से इन्हें नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। गृह मंत्रालय से सीएए लागू करने के ठोस संकेत को गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल में 27 दिसंबर को हुई आम सभा से भी बल मिलता है जहां उन्होंने कहा था कि सीएए देश का कानून है, इसे कोई रोक नहीं सकता।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार एक बार नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकेगा। नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद नियमों के तहत पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता भी दी जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि चार साल से अधिक की देरी के बाद, सीएए के कार्यान्वयन के लिए नियम जरूरी हैं। इस कानून के नियम अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले अधिसूचित हो जाएंगे? इस सवाल पर वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘हां, चुनाव के एलान से काफी पहले नियम जारी कर दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि संसदीय नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार हो जाने चाहिए। ऐसा न होने पर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से और समय मांगने का भी प्रावधान है। नियम बनाने के लिए साल 2020 के बाद गृह मंत्रालय नियमित अंतराल पर कई संसदीय समितियों से एक्सटेंशन लेता रहा है। संसद के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली।