ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आने वाले दिनों में दुनिया के कई ऐसे देश जिनके पास राफेल फाइटर जेट हैं, वे उनकी मरम्मत के लिए फ्रांस जाने के बजाय भारत आ सकेंगे। भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ की तो बात कही है साथ ही साथ उसका जोर ‘मेंटेन इन इंडिया’ पर भी है। यूपी के नोएडा में मेंटनेंस सेंटर खुलने जा रहा है। यहां भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 और राफेल लड़ाकू विमानों की सर्विस की जा सकेगी। इससे विमानों को जल्दी और कम खर्चे में ठीक कराना आसान हो जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ भारतीय वायुसेना को होगा, साथ ही भारत के ऐसे मित्रों को भी फायदा होगा जिनके पास राफेल हैं।
मुश्किल होगी आसान
फिलहाल भारतीय वायु सेना के पास करीब 50 मिराज-2000 लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें 1980 के दशक में खरीदा गया था। इसके अलावा 36 राफेल विमानों की दो स्क्वाड्रन हैं, जिन्हें हाल ही में खरीदा गया है। आने वाले वक्त में 110 से ज्यादा लड़ाकू विमानों की जरूरत को देखते हुए और भी राफेल खरीदे जाने की संभावना है। फ्रांस ने हमेशा भारत का साथ दिया है, खासकर 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद जब कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे।
फ्रांस के बजाय नोएडा में सर्विसिंग
यह पहला कदम है और इसके कई फायदे हैं। आने वाले वक्त में डैमरोई (दसाल्ट मेंटेनेंस एंड रिपेयर आर्गेनाइजेशन) लड़ाकू विमानों के पुर्जे बनाने के लिए मशीनरी नोएडा ला सकता है, जिससे और अधिक फायदा होगा। मिराज-2000 और राफेल रखने वाले मित्र देश अपने विमानों को फ्रांस भेजने की बजाय नोएडा में सर्विस करा सकते हैं। इनमें ग्रीस, मिस्र और कतर जैसे देश शामिल हैं, जिनके पास राफेल हैं। भारत ने ‘वर्ल्ड के लिए मेक इन इंडिया’ की बात की है और अब दुनिया के लिए ‘मेंटेन इन इंडिया’ भी होगा।
नोएडा में निवेश की बढ़ जाएगी संभावना
डैमरोई की इस पहल से नोएडा में निवेश की संभावना और अधिक बढ़ जाएगी। भारत के लिहाज से देखा जाए तो यह एक बहुत बड़ा निवेश है और यह रक्षा मंत्रालय की हालिया विदेशी निवेश नियमों में बदलाव की पहल के बाद आया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार है जब कोई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में एमआरओ (मरम्मत और रखरखाव) केंद्र स्थापित कर रहा है। यह एक बड़ा निवेश है और बहुत जल्द और अधिक निवेश की संभावना है।