पटना। पटना में आयोजित श्रम20 शिखर सम्मेलन में सामाजिक सुरक्षा लाभों को आसानी से सभी तक पहुंचाने की क्षमता पर जी20 सदस्य देशों और अन्य संबद्ध देशों के बीच बहुपक्षीय तंत्र बनाने का संकल्प लिया गया। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन एल-20 के समापन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष हिरण्मय पंड्या ने कहा कि शिखर सम्मेलन में ‘श्रमिकों के अंतर्राष्ट्रीय प्रवास- सामाजिक सुरक्षा निधियों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आसानी से पहुंच के बारे में कार्य बल की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की गई। चर्चा के दौरान कहा गया कि वर्तमान में अधिकांश श्रमिकों को विदेश भेजने और वापस बुलाने वाले देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के तहत आसानी से अनुमति मिल रही है।
पांच टास्क फोर्स
अमृतसर में 18, 19 और 20 मार्च को आयोजित श्रम20 की स्थापना बैठक में 5 टास्क फोर्स का गठन किया गया था –
1- सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा
2- महिला और कार्य का भविष्य
3- श्रमिकों का अंतर्राष्ट्रीय प्रवास – सामाजिक सुरक्षा निधियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का अधिकार
4- कार्य की बदलती दुनिया: जी20 देशों में रोजगार के नए अवसर और चुनौतियां
5- कौशल विकास: हितधारकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां।
‘सामाजिक सुरक्षा निधियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का अधिकार ‘ पर पटना बैठक में कार्य बल ने सिफारिश की कि सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की दक्षता के लिए प्रवासियों की संवेदनशीलता और जरूरतों पर डेटा एकत्र कर उनका विश्लेषण किया जाना चाहिए। नागरिकता और निवास की स्थिति पर विचार करते हुए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से संबंधित राष्ट्रीय डेटा का पृथक्क रण प्रवासी की स्थिति का विश्वसनीय संकेतक माना जा सकता है।
– रोजगार की राह में कानूनी बाधाओं को दूर करने के उठे मुद्दे
इससे हस्तांतरणीय लाभों के संभावित वित्तीय प्रभावों की गणना और श्रमिक प्रवासियों की प्रभावी या वास्तविक सामाजिक सुरक्षा कवरेज के अनुमान की सुविधा होगी। थर्ड पार्टी सेवा प्रदाताओं के माध्यम से धन पहुंचाने का अधिकार लागू करने के लिए निजी और सामाजिक भागीदारी पर विचार किया जाना चाहिए। शिखर सम्मेलन में व्यापक विचार-विमर्श के बाद प्रवासी को वापस बुलाने और भेजने वाले देशों के बीच एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा गया। हालांकि समझौतों की अभिव्यक्ति में देरी को लेकर चिंताएं व्यक्त की गईं ं। तेजी से बदलते परिदृश्य में काम की दुनिया अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण बदलावों का सामना कर रही है। वर्तमान डिजिटल युग में जब रोजगार के नए-नए अवसर सामने आ रहे हैं, तो इसका श्रमिकों पर मिश्रित प्रभाव पड़ता है।