ब्लिट्ज ब्यूरो
जिनेवा। भारत ने साफ कर दिया है कि जी20 की मीटिंगों की जगह वो सिर्फ अपनी मर्जी से तय करेगा। कश्मीर में होने वाली जी20 मीटिंग को लेकर संयुक्त राष्ट्र के एक अफसर के कमेंट्स को भारत ने खारिज कर दिया है। इस अफसर ने घाटी में अल्पसंख्यकों के मुद्दे को हवा देने की कोशिश की थी। यूएन में इंडियन मिशन ने कहा, इस तरह के तमाम आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। भारत इन्हें खारिज करता है। बतौर जी20 प्रेसिडेंट भारत को यह हक है कि वो देश के किसी भी हिस्से में इस समिट की मीटिंग ऑर्गेनाइज करे। कुछ दिन पहले यूएन के माइनॉरिटीज अफेयर्स रिप्रेजेंटेटिव फर्नांड डि‘वर्नेस ने जम्मू-कश्मीर और वहां माइनॉरिटीज के इश्यूज पर बयान जारी किया था। भारत सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। श्रीनगर में जी20 की मीटिंग इसी महीने होने वाली है।
भारतीय मिशन ने कहा- फर्नांड का बयान बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। वो जम्मू-कश्मीर के मामले को सियासी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया पर पब्लिसिटी हासिल करने की कोशिश की है। उन्होंने जो कुछ कहा है वो हकीकत में पहले से बनी सोच का नतीजा है और यह यूएन रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर गलत हरकत है।
उल्लेखनीय है कि जब कश्मीर में जी20 मीटिंग कराने का एलान हुआ, पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति की थी। 4 और 5 मई को गोवा में जी20 के फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल हुए थे। उन्होंने भी इशारों में इस मसले को उठाने की कोशिश की थी। इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, जी20 की मीटिंग्स कहां होंगी और कहां नहीं, इससे उस देश का कोई ताल्लुक नहीं हो सकता जो इस ऑर्गेनाइजेशन का मेंबर ही नहीं है। जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा था, है और रहेगा।
जी20 पर एक नजर
इसमें 20 देशों के अध्यक्षों की वार्षिक बैठक होती है जिसको जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में सभी देशों के मुख्य विषय यानी आतंकवाद, आर्थिक परेशानी, ग्लोबल वॉर्मिंग, स्वास्थ्य और अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। पूरी दुनिया में जितना भी आर्थिक उत्पादन होता है उसमें 80 फीसदी योगदान इन्हीं जी 20 देशों का होता है।