दीपक द्विवेदी
चूंकि भारत की आर्थिक वृद्धि अपवादस्वरूप आकर्षक बनी हुई है एवं आने वाले वर्षों में भी यह स्थिति बनी रहेगी इसलिए इस बजट में विशेष रूप से रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिकॉर्ड लगातार तीसरी बार बनी सरकार का आम बजट गत 23 जुलाई को पेश कर दिया गया। उनकी सरकार में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बार लगातार सातवीं बार बजट पेश कर नया रिकॉर्ड बनाया। यह कहा जा सकता है कि यह एक जन हितकारी बजट है जिससे मोदी सरकार न केवल जनता का दिल जीतने में कामयाब होगी बल्कि अपने राजनीतिक विरोधियों के सपनों को भी चकनाचूर करने में सफल रहेगी। कुल मिला कर कह सकते हैं कि वित्तमंत्री सीतारमण एक बढ़िया बजट देने में सफल रहीं।
इसमें कोई दोराय नहीं कि जब किसी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत एवं बेहतर स्थिति में होती है तो उसका वित्तमंत्री भी बजटीय आत्मविश्वास के साथ उम्दा प्रदर्शन कर सकता है। 8.2 फीसदी जीडीपी वृद्धि, कर प्राप्तियों में निरंतर उछाल और आरबीआई से बंपर लाभांश के बलबूते निर्मला सीतारमण एक ही तीर से कई राजनीतिक और आर्थिक लक्ष्य साधने में सफल रही हैं। इस बजट की एक विशेष खासियत यह भी है कि इससे केंद्र सरकार को राजनीतिक स्थिरता कायम रखने में भी मदद मिलेगी। राजनीति के पंडितों का पहले अनुमान था कि अगर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भारतीय जनता पार्टी ने शांत नहीं किया तो वे सरकार गिरा भी सकते हैं। बजट में दोनों राज्यों को भारी मात्रा में धन दिया गया है जो उन्हें फिलहाल संतुष्ट कर सकता है और उनकी विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग के लक्ष्यों को काफी हद तक शांत भी कर सकता है। इसमें बिहार और आंध्र के लिए करीब 75 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का एलान किया गया है।
दरअसल जब जीडीपी वृद्धि पहले से ही श्रेष्ठ हो तो अर्थव्यवस्था की नाव को मुश्किल में डालना बुद्धिमानी नहीं कहा जा सकता। आर्थिक दृष्टि से, बजट एक व्यापक आर्थिक सपना है जो सच हो रहा है। बजट में राजकोषीय घाटा पिछले साल जीडीपी के 5.9 फीसद से घटकर इस साल 4.9 फीसद रह गया है। यह इतनी तेज कटौती है कि आईएमएफ अनुशासन के तहत कई देशों को इसे हासिल करने में अत्यंत मुश्किलों का सामना करना पड़ता। इसके बाद भी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जीडीपी के 3.4 फीसद के बुनियादी ढांचे के पूंजीगत व्यय का दावा करते हुए राजनीतिक सहयोगियों को संतुष्ट कर रही हैं, रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं को वित्तपोषित कर रही हैं और सरकार के मध्यम वर्ग के समर्थकों को खुश करने के लिए आयकर में छूट भी प्रदान करने में सफल रही हैं।
सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलने के लिए ग्रामीण असंतोष और बेरोजगारी को विशेष रूप से उत्तरदायी माना गया था। आर्थिक वृद्धि को भी गति प्रदान करने के लिए बजट में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 फीसद है। सरकार ने स्टार्टअप में सभी श्रेणी के निवेशकों के लिए ‘एंजल कर’ समाप्त करने की घोषणा भी की है। बजट में तस्करी रोकने के मकसद से मोबाइल एवं सोने पर सीमा शुल्क में कटौती की गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने कैंसर के उपचार की तीन दवाओं ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डुरवालुमैब पर सीमा शुल्क में छूट की भी घोषणा की है। चूंकि भारत की आर्थिक वृद्धि अपवादस्वरूप आकर्षक बनी हुई है एवं आने वाले वर्षों में भी यह स्थिति बनी रहेगी इसलिए इस बजट में विशेष रूप से रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। देश में बेरोजगारी की चुनौतियों से जूझने के लिए तीन नई योजनाओं की घोषणा की गई है। विपक्ष ने इसे ‘सरकार बचाओ’ बजट कहा है तो सरकार ने इसे उम्मीदों का बजट बताया है। इसलिए अन्य प्राथमिकताओं के साथ-साथ अब इन उम्मीदों पर भी खरा उतरना ही सरकार के लिए पहली प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए; ऐसा विश्वास किया जा सकता है।