मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित नीतियों के लिए स्टेट एडवाइजरी बोर्ड को एक महीने के भीतर शुरू करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने कहा कि यह चिंताजनक है कि राज्य सरकार को अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए अदालत से निर्देशों की जरूरत होती है।
बेंच ने कहा कि राज्य सरकार को सुधारात्मक कानूनों को लागू करने के लिए अदालत के आदेशों का इंतजार नहीं करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने पूछा, ‘क्या इससे ज्यादा चिंताजनक बात कुछ हो सकती है कि किसी कानून को लागू करने के लिए अदालत को निर्देश जारी करने पड़ें। यह आपका (सरकार का) दायित्व है। इसके लिए भी आपको निर्देशों की जरूरत है?’
बेंच ट्रैफिक जाम के दौरान बाइक चालकों को फुटपाथों का सड़क की तरह इस्तेमाल करने से रोकने के लिए लगाए गए बोलार्ड के मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि बोलार्ड के चलते व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले दिव्यांग लोग भी फुटपाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।
‘अगर बोर्ड होता तो अदालत पर नहीं पड़ता बोझ’
बेंच ने कहा कि अगर स्टेट एडवाइजरी बोर्ड क्रियाशील होता तो अदालतों पर दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण से संबंधित मामलों का बोझ नहीं पड़ता। पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को बोर्ड के पास भी भेज सकते थे। वह सभी उपाय कर सकता था।’
सरकार ने बोर्ड का गठन 2018 में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत किया था, लेकिन नॉन-ऑफिशियल सदस्यों के रिक्त पदों के चलते यह 2020 से कार्य नहीं कर रहा है।
– 14 अगस्त को आगे सुनवाई करेगी
’15 दिन नहीं, एक महीने का समय लीजिए’
बेंच ने राज्य सरकार से एक समय सीमा बताने को कहा कि इन रिक्त पदों को कब तक भरा जाएगा और बोर्ड को कार्यात्मक बनाया जाएगा। अतिरिक्त सरकारी वकील अभय पाटकी ने कहा कि बोर्ड 15 दिनों में काम करना शुरू कर देगा।
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम आपको 15 दिनों से कुछ अधिक समय देंगे, भगवान के लिए इसे करें। हम निर्देश देते हैं कि एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया जाए और आज से एक महीने के भीतर इसे एक्टिव किया जाए।’
14 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
बेंच ने कहा कि जुलाई 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था, जो दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था, कि स्टेट एडवाइजरी बोर्ड का गठन किया गया था। हालांकि जब बोर्ड एक्टिव नहीं है तो सिर्फ इसके गठन का क्या फायदा? हम उम्मीद करते हैं कि 30 दिनों के भीतर बोर्ड सभी मामलों में एक्टिव हो जाएगा। पीठ इस मुद्दे पर 14 अगस्त को आगे सुनवाई करेगी।