ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सस्ता कर्ज पाने के लिए लोगों को अक्तूबर तक इंतजार करना पड़ सकता है। महंगाई के जोखिम और अमेरिकी केंद्रीय बैंक के दरों में कोई बदलाव नहीं करने के कारण आरबीआई तीसरी तिमाही तक रेपो दर में कटौती का फैसला टाल सकता है। अर्थशास्त्रियों का पहले मानना था कि जून की बैठक में आरबीआई दरों में कटौती कर सकता है। अब महंगाई के जोखिम को देखते हुए यह फैसला अक्तूबर से दिसंबर के बीच हो सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस पूरे साल में रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती की उम्मीद है। फिलहाल रेपो दर 6.5 फीसदी पर बनी हुई है। आरबीआई ने सात बार से दरों को यथावत रखा है। महंगाई आरबीआई के दायरे से अब भी ऊपर है।
गर्मी बढ़ा सकती है आरबीआई की चिंता
अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर तक के लिए अपने तिमाही महंगाई पूर्वानुमान को थोड़ा कम कर दिया है। आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री अचला जेठमलानी ने कहा, भारत की विकास दर अच्छी है। महंगाई नियंत्रण में है लेकिन, गर्मी में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ीं तो महंगाई आरबीआई की चिंता बढ़ा सकती है। इसके साथ ही, वैश्विक विकास पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। अमेरिका समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दर के मामले में जिस तरह के फैसले लेंगे, आरबीआई भी उसी आधार पर रणनीति बनाएगा।
कई देश ब्याज दर घटाने में कर सकते हैं विलंब
मॉर्गन स्टेनली का कहना कि एशिया के अधिकांश केंद्रीय बैंक दरों में कटौती में देरी करेंगे। भारत में भी इस साल कटौती की उम्मीद नहीं है। डीबीएस ग्रुप होल्डिंग्स की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, भारत दर में कटौती को अप्रैल, 2025 में शुरू होने वाले वित्त वर्ष तक भी टाल सकता है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक भी इस साल के अंत तक कटौती कर सकता है या टाल भी सकता है। भारत जैसे उभरते बाजारों में केंद्रीय बैंक दरों में कटौती कर अपनी मुद्राओं को और कमजोर करने से सावधान रहेंगे।